जब भी आपका मूड ख़राब होता है तब आप किसे दोष देते है ...स्वयं को ? परिस्थितियों को या आपके आस पास रहने वाले व्यक्तियों को ! इसके पहले की आप किसी को दोष दे एक बहुत अर्थपूर्ण झेन कहानी पढ़ लीजिये शायद आपका मूड ठीक हो ! एक मंदिर के द्वार पर दो बौद्ध भिक्षु लड़ रहे थे ! मंदिर पर लगी हुई पताका को देखकर एक भिक्षु कह रहा था कि,पताका को हवा हिला रही है !दूसरा भिक्षु कह रहा था नहीं पताका हिल रही है , इसलिए हवा कंपित हो रही है ! विवाद चल रहा था दोनों में तय करना मुश्किल था, इतनेमे मंदिर से गुरूजी बाहर आये उन्होंने कहा....तुम दोनों नासमझ हो न पताका हिल रही और न हवा हिल रही है, तुम्हारा मन हिल रहा है !
मूड का ख़राब होने का मूल कारण है मन का भटक जाना ! मन अपने केंद्र से भटक कर रज,तम,सत्व इन तीन गुणों से युक्त परिधि पर गोल-गोल घूम रहा है !इसीलिए हम देखते है कि, भावनात्मक बदलाव हो रहे है ! कभी सुख कभी दुःख कभी तनाव तो कभी हमारा मूड आफ हो जाना ! यह सारी मन की ही स्थिति है ! जब भी आपको लगे कि आपका मुड ख़राब है समझ जाना कि यह एक संक्रमण काल है थोड़ी देर में गुजर जायेगा !ऐसे समय में कोई अच्छा साहित्य पढने क़ी कोशीश कोई अच्छा संगीत सुनने क़ी कोशीश आपको बहुत हद तक ख़राब मूड को बाहर फेंकने में मदद करेगी! बिन बुलाये मेहमान के जाने की जैसे घरवाले प्रतीक्षा करते है, ऐसेही कुछ देर प्रतीक्षा कीजिये ! आप पायेंगे कि मन पूर्ववत स्थिति में आ गया है !जब भी हमारा मूड ख़राब हो हम किसी इमोशनल सपोर्ट की जरुरत महसूस करते है ! लेकिन जितनी हो सके भावनात्मक आत्मनिर्भर होने की कोशिश हमें और मजबूत बनाती है !
मूड का ख़राब होने का मूल कारण है मन का भटक जाना ! मन अपने केंद्र से भटक कर रज,तम,सत्व इन तीन गुणों से युक्त परिधि पर गोल-गोल घूम रहा है !इसीलिए हम देखते है कि, भावनात्मक बदलाव हो रहे है ! कभी सुख कभी दुःख कभी तनाव तो कभी हमारा मूड आफ हो जाना ! यह सारी मन की ही स्थिति है ! जब भी आपको लगे कि आपका मुड ख़राब है समझ जाना कि यह एक संक्रमण काल है थोड़ी देर में गुजर जायेगा !ऐसे समय में कोई अच्छा साहित्य पढने क़ी कोशीश कोई अच्छा संगीत सुनने क़ी कोशीश आपको बहुत हद तक ख़राब मूड को बाहर फेंकने में मदद करेगी! बिन बुलाये मेहमान के जाने की जैसे घरवाले प्रतीक्षा करते है, ऐसेही कुछ देर प्रतीक्षा कीजिये ! आप पायेंगे कि मन पूर्ववत स्थिति में आ गया है !जब भी हमारा मूड ख़राब हो हम किसी इमोशनल सपोर्ट की जरुरत महसूस करते है ! लेकिन जितनी हो सके भावनात्मक आत्मनिर्भर होने की कोशिश हमें और मजबूत बनाती है !
ओह, सच में मूड आफ हो तो मुझे लगता है कि कुछ देर शांत हो जाना चाहिए। उसके बाद खुद ही सबकुछ सामान्य दिखाई देने लगता है।
जवाब देंहटाएंमैं भी सोचने लगा कि मंदिर के पताका हवा से हिल रहा है या फिर पताका....
आपका दर्शन यानि फिलासफी बहुत बढिया लगी..
हटाएंबहुत बहुत आभार ....
जब भी मूड ख़राब होता है,श्वास की गति असामान्य हो जाती है। जब हम प्रसन्न होते हैं,श्वास की गति हमारे चाहे बगैर ही नियंत्रित रहती है। जब मन प्रसन्नता-अप्रसन्नता से परे हो,श्वासों के चलने का लगभग पता ही नहीं चलता!
जवाब देंहटाएंजी, बिलकुल सही कहा है
हटाएंबहुत बहुत आभार !
हम तो खुद को ही कोसते हैं।
जवाब देंहटाएंकभी तकलीफ इतनी हो कि जीना बोझ लगता है...
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