कभी-कभी जीवन में किसी बहुत ही निकट स्नेहीजन की मृत्यु पर व्यक्ति का मन बहुत गहरे तक पीड़ा से आहत हो जाता है ! दुःख के इस आघात से कई बार जीवन अर्थहीन व्यर्थ सा लगने लगता है ! जीवन सबंधी कुछ बुनियादी प्रश्न मन को झकझोरने लगते है ! पल में सुख तो पल में दुःख जीवन की ये कैसी पहेली है ? जीवन और मृत्यु का क्या रहस्य है ? कौन हूँ मै ? मेरे होने का क्या प्रयोजन है ? ऐसे कई सवाल मनुष्य को जीवन को जानने संबंधी जिज्ञासा से भर देते है ! और यही जिज्ञासा जीवन क़ी गहरी खोज तक ले जाती है !
हमने जीवन को
कब समझा कब जाना
यूँ ही जीवन को व्यर्थ गँवाया
किन्तु जीते-जीते
एक दिन पता चला
जिसको हमने जीवन समझा
वह जीवन नहीं
मृत्यु के द्वार पर
खड़ी हुई मनुष्य की
लंबी कतारे है
कोई आज गया कोई
कल कोई परसों जायेगा
देर सवेर की बात है
खोजने पर भी उनके
नहीं मिलेंगे निशान
जैसे पानी पर खींची
गई हो लकीरें
बन भी नहीं पाती
कि मिट जाती है
ऐसे ही पल में सब कुछ
मिटा देती है मृत्यु
एक कविता को छोड़कर .......
हृदयस्पर्शी रचना सुमन जी....
जवाब देंहटाएंमैंने भी लिखी थी कुछ ऐसी हेई रचना जब अभी एक बहुत अपना एक पूरा परिवार खोया था दुर्घटना में...
मगर पोस्ट करने का मन नहीं किया था.
आज फिर जी भर आया.
सादर
अनु
खोजने पर भी उनके
जवाब देंहटाएंनहीं मिलेंगे निशान
जैसे पानी पर खींची
गई हो लकीरें
बन भी नहीं पाती
कि मिट जाती है
.....यही जीवन का सत्य है...बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
कि मिट जाती है
जवाब देंहटाएंऐसे ही पल में सब कुछ
मिटा देती है मृत्यु
एक कविता को छोड़कर .......
बड़ी ही मर्मस्पर्शी प्रस्तुति !
सादर !
बहुत मर्मस्पर्शी रचना ... जीवन के सत्य को कहती हुई ...
जवाब देंहटाएंलोगों का क्या है रस्म
जवाब देंहटाएंनिभाकर निकल पड़े
मौत आएगी मिलन
को , हमें ही पता नहीं
कब जायेंगे घर छोड़ कर, सोंचा नहीं सनम ,
मरने का समय तय है, पर हमको पता नहीं !
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कोई आज गया कोई
जवाब देंहटाएंकल कोई परसों जायेगा
देर सवेर की बात है
खोजने पर भी उनके
नहीं मिलेंगे निशान
जैसे पानी पर खींची
गई हो लकीरें
सच है जीवन में शाश्वत कुछ नहीं ......
कभी कविता में भी कोई जीवन नहीं होता। कभी,जीवन ही कविता होती है।
जवाब देंहटाएंवह जीवन नहीं
जवाब देंहटाएंमृत्यु के द्वार पर
खड़ी हुई मनुष्य की
लंबी कतारे है
कोई आज गया कोई
कल कोई परसों जायेगा
कठोर सत्य को उकेरती कविता ।
कविता कालजयी होती है, जिस कविता में जीवन हो।
जवाब देंहटाएंजीव भी काल को जीत लेता है, यदि जीवन में कविता हो।
इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , आभारी होऊंगा .
मार्मिक! ये दर्द भी शाश्वत है और आना-जाना भी!
जवाब देंहटाएंमार्मिक ... किसी करीब के जाने का दर्द बहुत मुद्दत तक रहता है ...
जवाब देंहटाएंमनुष्य के मुकाबले अक्षर का जीवन अधिक लंबा होता है. वह पीड़ा को भी अधिक समय तक संजोए रखता है. बहुत सुंदर कविता.
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