मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

जेम्स थरबर की कहानी ......


जेम्स थरबर की एक प्रसिद्ध कहानी मुझे आज पढने को मिली ! बड़ी प्यारी बोध से भरी कहानी है ! हुआ यूँ कि सांपो के देश में एक बार एक नेवला पैदा हुआ ! बड़ा शांतिप्रिय था वह नेवला ! लेकिन नेवलों को उसकी शांतिप्रिय बाते पसंद नहीं आती थी ! इसलिए उन्होंने उसे समझाया कि सांप हमारे दुश्मन है ! पर उस नेवले ने कहा, क्यों ? मेरा उन्होंने अब तक तो कुछ भी नहीं बिगाड़ा ! बड़े बुजुर्गों ने कहा, "नासमझ कही के, तेरा भले ही कुछ भी नहीं बिगाड़ा हो, लेकिन वे सदा से हमारे दुश्मन है ! उनसे हमारा विरोध सदियों से है ! और जातिगत है !  उस शांतप्रिय नेवले ने कहा, जब मेरी उनसे कोई शत्रुता नहीं है तो मै क्यों उनसे शत्रुता पालू? सारे नेवलों कि जाती में यह खबर आग कि तरह फैल गई कि, हमारी बिरादरी में एक गलत सोंच का नेवला पैदा हुआ है !जो सांपो का मित्र है और नेवलों का दुश्मन है ! नेवले के माता-पिता ने कहा 'यह लड़का तो बीमार प्रतीत होता है ! उस नेवले के भाईयों ने कहा यह हमारा भाई तो बुजदिल लगता है ! उसे अनेक विधा समझाया गया कि.हम सांपो के दुश्मन है उनको मार डालना हमारा कर्तव्य है, क्यों कि उनके कारण ही सारी बुराई है ! लेकिन शांतिप्रिय नेवले ने कहा बुराई और अच्छाई तो दोनों में समान है जैसे हम में कोई संत है कोई शैतान वैसे ही उनमे भी है ! खबर फैल गई कि, यह नेवला नेवला नहीं सांप ही है उसकी शकल नेवले क़ी है पर आत्मा वस्तुत; सांप क़ी ही है ! बड़े बूढ़े इकट्ठे हुये बहुत समझाया पर नेवले पर उनके समझाने का कोई असर नही हुआ ! अंत में पंचायत ने यह फैसला सुनाया क़ी इस गद्दार को फांसी दिया जाए ! फिर उस नेवले को सभी ने मिल कर फांसी दे दी !

इस कहानी के अंत में जेम्स थरबर कहते है क़ि, अगर तुम अपने दुश्मनों के हाथ न मारे गए, तो अपने मित्रों के हाथ मारे जाओगे !

इस कहानी को पढ़कर सच में मुझे ऐसा लगा बच्चा जब पैदा होता है तो केवल मनुष्य होता है जैसे जैसे बड़ा होता है समाज क़ी शिक्षा,सभ्यता संस्कृति से एक खास नाम,जाती धर्म का हो जाता है ! उसी रंग में रंग जाता है, उन्ही सब परम्पराओं को जीवन पर्यंत निभाता है ! कितनी ही मूढ़  परम्पराएँ क्यों न हो, जो सोच समझ कर लीक से हटकर चलते है शायद वे ही प्रतिभाशाली व्यक्ति होते है ! लेकिन परिवार समाज के लोग उसे पसंद नहीं करते ना ही उसे सहन कर पाते है !

22 टिप्‍पणियां:

  1. अपना मत रखने वाले को अकसर बागी करार दिया जाता है..............
    और वो पर्याप्त शक्ति और सूझ से काम ना ले तो उसका पतन निश्चित है..............

    बहुत गूढ़ अर्थ छिपे है इस नन्ही सी कथा में....
    आभार.

    अनु

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  2. अपना मत रखने वाले को अकसर बागी करार दिया जाता है..............
    और वो पर्याप्त शक्ति और सूझ से काम ना ले तो उसका पतन निश्चित है..............

    बहुत गूढ़ अर्थ छिपे है इस नन्ही सी कथा में....
    आभार.

    अनु

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    1. बिलकुल सही कह रही है .....
      बहुत बहुत आभार !

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  3. नेवला अपनी जगह सही था...और अपने विचारों पर दृढ था...एक शिक्षाप्रद, सुन्दर कहानी!...आभार!

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  4. बहुत प्यारी सीख है और सत्य है ...
    समाज ही हममे एक दूसरे पर अविश्वास करने की सीख देता है ! जरा बच्चा बन कर सोंचो और महसूस करो आजकी सुमन में फर्क :-))
    शुभकामनायें आपको !

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    1. सतीश जी,
      आप सही कहते है इस फर्क का सारा श्रेय मै अपने मित्रों को देती हूँ !
      आभार !

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  5. अगर तुम अपने दुश्मनों के हाथ न मारे गए, तो अपने मित्रों के हाथ मारे जाओगे !
    सीख देती सुंदर कहानी,..

    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  6. शिक्षाप्रद कथा। एक पक्ष यह भी है कि कुछ लोगों को सत्यनिष्ठा भी गर्वोक्ति जैसी चुभती है और कुरीति मिटाने वालों का शक्तिशाली होना भी आवश्यक है।
    लीक-लीक कायर चलैं, लीकहि चलैं कपूत। लीक छोड़ तीनौं चलैं, शायर, सिंह, सपूत॥

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  7. जो भी मौलिक होगा,वह विद्रोही होगा। खर-पतवारों का क्या है!

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  8. समाज क़ी शिक्षा,सभ्यता संस्कृति से एक खास नाम,जाती धर्म का हो जाता है ! उसी रंग में रंग जाता है, उन्ही सब परम्पराओं को जीवन पर्यंत निभाता है ! कितनी ही मूढ़ परम्पराएँ क्यों न हो, जो सोच समझ कर लीक से हटकर चलते है शायद वे ही प्रतिभाशाली व्यक्ति होते है !
    सुमन जी बहुत सुन्दर कहा आप ने लीक से हट कर भी कुछ अच्छा कर दिखाना चाहिए ....जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण
    प्रतापगढ़

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  9. बहुत सुन्दर सार्थक और एक शिक्षाप्रद, कहानी!......बहुत सुन्दर....आभार!

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  10. धन्यवाद सुमन जी शिक्षाप्रद एवं प्रेरक कहानी के लिए . आज जरुरत है हमें ऐसे ही विचारों की जो समाज में व्याप्त दुर्भावना एवं संकृर्ण विचारों को दूर कर सके

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  11. बहुत शिक्षाप्रद है कहानी और सही भी ....
    शुभकामनायें ....!!

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  12. leek se hatkar chalnevalon ko dandit hi kiya jata hai par ve apni jati v samaj ko nayi disha bhi pradan karte hain .shikshaprad kahani .aabhar
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  13. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
    मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
    अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

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