प्रेम के इस पावन पर्व दिन पर न जाने कहाँ-कहाँ से उड़कर प्रेम परिंदे आ जाते है ! रंग-बिरंगी परिधानों में सज-धज कर, हाथों में महंगे-महंगे तोहफे,गुलाब के फूल लिये, सारा वातावरण जैसे महकने लगता है ! इस दिन बाग़-बगीचे में, पेड़ों की झुरमुट में बैठे असंख्य जोड़े दिखाई देते है ! एकदूसरे की आँखों में झांकते हुये दुनिया की सारी चिंताओं से दूर...,हीर-राँझा, रोमियो-जुलिएट, लैला-मजनू बनकर, लगता है जैसे सारी धरती को ही प्रेममय बना देंगे ! सारे जहाँ में महका-महका गुलाबी वातावरण महक रहा होता है तभी, संस्कारों के, धर्म के ठेकेदार विलन की तरह इनके बीच आ धमकते है ! लाल-पीले होकर प्रेम का विरोध करने के लिये ! उनका कहना है कि, सार्वजनिक स्थलों पर प्रेम करना अश्लील है ! भारतीय समाज में इस तरह के पर्व उचित नहीं है ! हमारे संस्कारों क़ी हानी होती है वगैरे-वगैरे .....आपने देखा होगा अगर सड़क पर कोई लड़ रहे होते है तो, बहुत सारे लोग तमाशा देखने जमा हो जाते है ! लेकिन हमारा समाज किसी जोड़े को प्रेम में पास-पास बैठा हुआ देखने की इजाजत नहीं देता ! अगर प्रेम करना अश्लील है तो फिर श्लील क्या है ? सार्वजिनिक स्थलों पर गंदगी फैलाना? हिंसा करना ? वैलेंटाइन डे अगर पश्चिम की देन है तो फिर,हिंसा,रिश्वतखोरी,कालाबाजारी किस देश की देन है ? क्या ये चीजे अश्लील नहीं है ? ओशो कहते है की, "जीवन के असम्मान के कारण प्रेम अशोभन मालूम पड़ता है क्योंकी प्रेम जीवन का गहनतम फूल है" !
प्रेम अगर जीवन से विदा हो जाता है तो फिर जीवन में जीने लायक क्या रह जाता है ? मै तो कहती हूँ प्रेम का यह पर्व दिन, वर्ष में एक ही दिन क्यों ? बारह महीने क्यों नहीं ? थोड़ी संकुचित बुद्धि को हटाकर सोचिये अशोभन प्रेम है या की हिसा ? आप कहेंगे प्रेम के कारण भी हिंसा होती है ! मै मानती हूँ इस बात को ! लेकिन हमारी युवा पीढ़ी को भी थोडा समझने और समझाने की जरुरत है ! प्रेम को अगर ठीक-ठीक से समझा नहीं गया तो,प्रेम विकृत हो जाता है !
@ अशोभन प्रेम है या की हिसा ?
जवाब देंहटाएंप्यार के अभाव में ही लोग भटकते हैं और भटके हुए लोग प्यार से ही सीधे रास्ते पर लाए जा सकते हैं। ईसा मसीह
प्रेम के बिना जीवन ही नहीं ....पर आज सब कुछ बिक रहा है ... प्यार भी ॥उसे दिखाने के तरीके भी .... प्रेम की भावना मन मेन होनी चाहिए ... दिखावा प्रेम की गरिमा को हर लेता है ॥
जवाब देंहटाएंप्रेम मन के भावों से जुड़ा हो स्वार्थ और बाजारीकरण की सोच से नहीं......
जवाब देंहटाएंआपका कहना सही है...
जवाब देंहटाएंप्रेम सही है मगर प्रेम की सार्वजनिक प्रदर्शनी लगाना ठीक नहीं...
प्रेम की सभ्य अभिव्यक्ति सार्वजनिक भी हो तब भी कबूल है....
आभार...
अक्षरश: सही कहा है..
जवाब देंहटाएंआपने प्रेम के बारे में सही कहा है!...बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएं...मैंने भी वेलेंटाइन डे पर कुछ लिखा है...पढ़िए...
http://arunakapoor.blogspot.in/
प्रेम को अगर ठीक-ठीक से समझा नहीं गया तो,प्रेम विकृत हो जाता है !ekdam sahi soch hai.
जवाब देंहटाएंहम अपने से बेसुध,बहिर्केंद्रित जीवन जीते हैं जबकि प्रेम अंतस का फूल है। मूर्च्छित जीवन-शैली के कारण हमारे अपने जीवन में प्रेम नाममात्र ही बचा है। जिसके पास जो होगा,वही तो प्रत्युत्तर में देगा!
जवाब देंहटाएंआपके एक एक शब्द सच है ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन पोस्ट है......
happy valentine day
जवाब देंहटाएंलेकिन हमारी युवा पीढ़ी को भी थोडा समझने और समझाने की जरुरत है ! प्रेम को अगर ठीक-ठीक से समझा नहीं गया तो,प्रेम विकृत हो जाता है !shi bat khi aapne suman jee.
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है आपने ...सटीक आलेख
जवाब देंहटाएं"जीवन के असम्मान के कारण प्रेम अशोभन मालूम पड़ता है क्योंकी प्रेम जीवन का गहनतम फूल है" !
जवाब देंहटाएंऐसे तो हम बड़े समझदार हैं बस इतनी सी बात नहीं समझ पाते.....
प्रेम दिलों को जोडता है...बहुत सुंदर आलेख..
जवाब देंहटाएंप्रेम ही दिलों को जोडता है...बहुत सार्थक आलेख
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा,सच्चा प्रेम दिलों को जोड़ता है,
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ....
MY NEW POST ...कामयाबी...
सही लिखा है.बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar post .....osho ne kaha tha jeevan ak avasar hai jhan prem ak laxy hai ......lekin ye prem virodhi log kya jane..
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही लिखा...बहुत अच्छा...
जवाब देंहटाएंprem ke parinde... bahut behtareen:)
जवाब देंहटाएंआजकल प्रेम कहाँ दीखता है तड़प जरूर दिखती है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
आज कल काम करने का नियम है कि काम कम करो और उसका ढिंढोरा जम के पीटो. यही सिद्धांत को प्यार में भी लगा दिया है.
जवाब देंहटाएंप्रेम करना उसमें डूब जाना कोई अश्लील नहीं है ... हाँ तरीकों पे चर्चा हो सकती है ...
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