माहौल मायूसी का ही है ...अनूठा और काफी हद तक अछूता विषय चुना आपने ...शुभकामनायें आपको !
क्या कहने,आपकी सोच को सलाम,आने वाले समय की तस्वीर खिंचती रचना
मन को अगर हमने प्रकृति से जोड़ा होता,तो शांति भी होती और प्रकृति का भी भला होता। अलबत्ता, कई लोगों ने चिड़ियों की चहचहाहट को अपना रिंगटोन ज़रूर बना लिया है,हालांकि हालात इतने बदतर नहीं दिखते।
आने वाला समय तो सच में ऐसा ही होता हुआ दिख रहा है ....सटीक चित्रण
आने वाला क्या ..बस समझो कि आ ही गया है यह समय ... बहुत अच्छी प्रस्तुति
सुंदर, सशक्त एवं प्रासंगिक भाव ... लगता तो यही है सुमनजी
सुंदर प्रस्तुति,...आने वाला समय न जाने क़्या२ गुल खिलायेगा,..मेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
माहौल मायूसी का ही है ...
जवाब देंहटाएंअनूठा और काफी हद तक अछूता विषय चुना आपने ...
शुभकामनायें आपको !
क्या कहने,
जवाब देंहटाएंआपकी सोच को सलाम,
आने वाले समय की तस्वीर
खिंचती रचना
मन को अगर हमने प्रकृति से जोड़ा होता,तो शांति भी होती और प्रकृति का भी भला होता। अलबत्ता, कई लोगों ने चिड़ियों की चहचहाहट को अपना रिंगटोन ज़रूर बना लिया है,हालांकि हालात इतने बदतर नहीं दिखते।
जवाब देंहटाएंआने वाला समय तो सच में ऐसा ही होता हुआ दिख रहा है ....सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंआने वाला क्या ..बस समझो कि आ ही गया है यह समय ... बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर, सशक्त एवं प्रासंगिक भाव ... लगता तो यही है सुमनजी
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति,...आने वाला समय न जाने क़्या२ गुल खिलायेगा,..
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