गुरुवार, 25 जून 2015

उथली सांत्वनाएँ ...


दुःख,
मेरे अपने है
खरे है !
समस्यायेँ
मेरी अपनी है
खरी है !
काम कैसे आयेंगे
समाधान
उथली सांत्वनाएँ
मित्र,
किसी और की    ... !

रविवार, 14 जून 2015

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पौराणिक कथा !




हम पौराणिक कथाओं की गहराई में शायद ही कभी पहुँच पाते है ! इस तरह तो बिलकुल भी नहीं जिस तरह कोई दार्शनिक, वैज्ञानिक चिंतक अपनी पैनी दृष्टी से देखता है तो सुधी पाठको की दृष्टी को ही नहीं दृष्टिकोण को ही बदल देता है, आईये जानते है कैसे ! कल ओशो की एक किताब में इस कथा को पढ़ रही थी तो सोचा आप तक पहुँचाउ ताकि, आप भी उतना ही आनंद उठा सके जितना मैंने इस कथा को पढ़कर सोचकर उठाया है !

ब्रम्ह पुराण में एक गाथा कही जाती है कि सर्वांग सुंदरी अहिल्या को देखकर सभी देव-दानव विचलित हो उठे थे ! लेकिन गौतम ऋषि उसी तरह गंभीर बने रहे, इसलिए ब्रम्हा ने वह सुंदरी गौतम ऋषि को
दे दी … ! एक बार जब गौतम तीर्थ-दर्शन के लिए गए, तो राजा इंद्र ने उन्ही का रूप धारण कर लिया, और आश्रम के भीतर अहिल्या के पास पहुँच गए … तभी गौतम ऋषि आए और उन्होंने अहिल्या को और इंद्र को श्राप दिया ! ( इस कहानी को भली भांति आप सब जानते है ) चलिए अब हम इस प्रतीकात्मक कहानी के गहरायी में उतरते है … 

गौतम किरण-विज्ञान के पहले ज्ञाता थे ! तम के पार जा सके, अँधेरे के पार  इसलिए गौतम नाम हुआ ! अहिल्या का अर्थ है जो हिल न पाए ! यह रासायनिक पदार्थ था गौतम ऋषि की प्रयोगशाला में ! 
इंद्र सूरज-मंडल के अंतर की एक  किरण का नाम है ! वही किरण प्रयोगशाला में आयी तो खोज का काम आगे बढ़ा ! श्राप देने का अर्थ है कीलित कर देना ! वही किरण कीलित हुयी तो पदार्थ के चमक उठने पर गौतम ने, उसमे अपना ही रूप देखा ! भग का अर्थ है योनि, वह नाड़ी जो सात ग्रहों की किरणों को धरती पर लाती है ! और जो गौतम ने कहा इंद्र, तुम हजार भग वाले हो जाओ, उसका अर्थ है तुम हजार नाड़ियों वाले हो जाओ और ब्रम्हांड की शक्ति को धरती पर ले आओ ! और गौतम ऋषि ने अहिल्या से कहा … तुम शिला बन जाओ इसी तरह प्रयोगशाला में रहो, जब तक मेरी खोज पूरी नहीं होती ! साथ ही वरदान दिया जब तुम गोमती नदी में मिल जाओगी, अति सुंदर हो जाओगी ! यह किसी बहती हुई नदी से मिलना रासायनिक खोज का दुनिया में विचरण करने का संकेत है, विज्ञान का लोगों तक पहुँच जाना … !









मंगलवार, 9 जून 2015

जब बर्तन साफ सुथरा खाली हो … !

बतायें तो
"खाली दिमाग शैतान का घर"
वाला मुहावरा
किसी शैतानी दिमाग की
उपज है या
खाली दिमाग की ?

क्योंकि,
एक स्वादिष्ट व्यंजन
तभी बनाया जा सकता है
जब बर्तन ( दिमाग )
साफ सुथरा
और खाली हो … !

गुरुवार, 4 जून 2015

भोजन का संबंध प्रेम से है …

मनुष्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन जितना जरुरी है उतना ही प्रेम भी जरुरी है ! एक गृहिणी अपने रसोई घर में केवल भोजन ही नहीं बनाती बल्कि भोजन के द्वारा परिवार के सदस्यों के लिये प्रेम भी परोसती है ! महान दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति कहते है कि "प्रेम मनुष्य को सभी दूसरे गुण प्राप्त करने के योग्य बनाता है और इसके बिना बाकी का कुछ भी कभी भी पर्याप्त नहीं होता है "!