कवि,कविता और नेता में तुकबंदी के साथ-साथ परस्पर गहरा संबंध भी होता है ! कवि प्राकृतिक प्रतिभा का धनी होता है साथ में एक बेहतर कवि बनने के लिए प्रतिभा, शिक्षा और निरंतर अभ्यास का होना भी बहुत जरुरी होता है ! लेकिन नेताओं को इसकी कोई जरुरत नहीं पड़ती ! इसके आलावा कवि के लिए एक बेहतर जिंदगी के लिए पर्याप्त धन भी चाहिए होता है वर्ना घर के ही लोगों के व्यंग्य बाणों का शिकार होना पड़ सकता है ! वैसे लक्ष्मी और सरस्वती की कृपा बहुत कम कवियों पर होती है ! कवि की जान कविता में अटकी होती है नेताओं की जान कुर्सी में अटकी होती है इसलिए नेताओं को सालों साल कुर्सी से ही चिपका हुआ हम अक्सर देखते है ! कवि नेताओं पर करोड़ों व्यंग्य कवितायेँ लिख सकता है पर सरकार नहीं चला सकता कभी देखा है आपने कवि को प्रधानमंत्री बनते हुए ? नहीं न ? कभी भूल चुक से ऐसा होता भी है अगर कवि प्रधान मंत्री बनता भी है तो भाई लोग उसे पसंद नहीं करते,कोई न कोई तिकड़म बाजी चलाकर उसे ऊपर गद्दी से निचे खिंच कर ही दम लेते है ! कविता लिखने में और सरकार चलाने में बहुत फर्क होता है ! ऐसा मेरा नहीं उनका मानना है ! उल्लू को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है और कवि भले ही धनी न हो पर ज्ञानी जरुर होते है ! कवि और नेता एक ही धरती पर निवास करते है पर एक थोडा संवेदनशील होता है एक बिलकुल ही निर्दयी कसाई की तरह होता है ! समाज और देश की अवस्था, व्यवस्था देख कर कवी रोता है पाठकों को रुलाता है प्रभावित होता है और उसे अपनी रचनाओं में अभिव्यक्त करता है ! और नेता प्रभावित होने का नाटक जनता के सामने करता है मगरमच्छ के आंसू बहाता है ! खैर छोड़िये जितना लिखे कम लगता है !
एक कवि रोज घर में हो रही आर्थिक तंगी और चौबीस घंटे की कांव-कांव से तंग आकर आखिर कर सरकारी नाई बन गया ! और नेताओं के बाल काट कर उस होने वाली आय से घर परिवार का खर्चा पानी चलाने लग गया !
एक दिन एक नेता के बाल काटते समय नाई ने पूछा नेता जी से कि, साहब यह स्विस बैंक वाला मामला क्या है ?
नेताजी जोर-जोर से चिल्लाये और बोले, तू मेरे बाल काट रहा है या मेरी इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाई ने कहा माफ कीजिये साहब गलती हो गई बस ऐसे ही पूछ रहा था !
फिर दूसरे दिन किसी दूसरे नेताजी के बाल काटते समय फिर वही सवाल पूछा, साहब यह काला धन क्या होता है ?
नेताजी गुस्से में बोले, तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे यह सब जानने की ??
नाई ने फिर से माफी मांगते हुए कहा, माफ कीजिये साहब बस ऐसे ही पूछ लिया गलती हुई !
दूसरे ही दिन सीबीआई वालों ने नाई बने कवि के यहाँ छापा मारा वैसे ढेरों अनछपी कविताओं के आलावा कुछ नहीं मिला उनको ! पूछताछ शुरू हो गयी ! सीबीआई ने नाई से सख्ती से पूछा, क्या तुम सिविल सोसायटी वालों के एजेंट हो ? नहीं नहीं साहब मै तो एक गरीब कवि हूँ घर में रोज आर्थिक तंगी से होने वाली कांव कांव से तंग आकर नाई का काम करने लगा था ! तो तुम बाल काटते समय नेताओं से इस प्रकार के फालतू सवाल क्यों पूछते हो ?? नाई ने कहा, बात दरअसल यह है कि, पता नहीं क्यों जब भी मै स्विस बैंक या काले धन की बात करता हूँ तो नेताओं के बाल अपने आप खड़े हो जाते है , इससे मुझे बाल काटने में आसानी हो जाती है ! बस यही वजह है कि मै नेताओं से इस तरह के सवाल पूछता रहता हूँ !
वजह चाहे जो भी हो बिग बॉस के घर में हो कि मेरे, आपके घर में, कई बार न इस चौबीस घंटे की कांव-कांव से मन बड़ा उब सा जाता है ! और इस उब को मिटाने के लिए चुटकुले से बेहतर और कोई उपाय नहीं लगता मुझे तो, पता नहीं आप उब को मिटाने के लिए क्या करते होंगे मै तो चुटकुले सुनती हूँ और सुनाती हूँ खैर ! यदि चुटकुला नेताओं पर हो तो वाह क्या बात है इनसे कोई बेहतर प्राणी चुटकुले के लायक और कोई हो ही नहीं सकता इसलिए यह चुटकुला सुनाया है कैसा लगा आपको ??
नहीं ऐसे मुस्कुराकर नहीं चलेगा मैंने जैसे कांव-कांव कर दिया है अब आप भी यहाँ आकर
कांव-कांव कांव-कांव कर दीजिये देखते है कौन कितने बेहतर तरीके से कांव-कांव करते है :):) !
हा हा इतने मस्त चुटकुले के आगे कोई कुछ कह कैसे सकता है ...
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया बस ...
जवाब देंहटाएंमजेदार-
बढ़िया प्रस्तुति-
आभार आदरेया
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14-11-2013 की चर्चा में दिया गया है
जवाब देंहटाएंकृपया चर्चा मंच पर पधार कर अपनी राय दें
धन्यवाद
अच्छा लगा आपका यह 'कांव-कांव' :)
जवाब देंहटाएंकाँव काँव इतनी रोचक और बाँधने वाली भी हो सकती है ..पहली बार पढ़ा..मतलब.....सुना ..मतलब ...जाने दीजिये ...काँव काँव तो समझ में आ गयी न ....:)
जवाब देंहटाएंनाई कवि में तो संपूर्ण ताऊत्व विराजमान है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
क्यों कवियों के पीछे पड़ी हो ,लगता है किसी ने १० - १२ कवितायें सुना दी हैं !
जवाब देंहटाएंहलके फुल्के मज़ाकिया चुटकुले हमेशा अच्छे रहे हैं , भारी माहौल कम करने के लिए !
एक चुटकुले की कमी है इस पोस्ट में !!
तो आप सुना दीजिये कमी पूरी हो जायेगी
हटाएंमौका अच्छा है पता नहीं फिर कब मिले :)
सुमन जी बडी सादगी से पर जोरदार तरिके से आपने नेताओं पर चुटकुला सुनाया है।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा चुटकुला ,अटल बिहारी बाजपेयी शायद अकेला प्रधानमंत्री हैं जो कवि भी हैं !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट लोकतंत्र -स्तम्भ
इसलिए भूल चुक से कहा है :)
हटाएंबहुत ही मजेदार ..
जवाब देंहटाएंमनोरंजक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : पुनर्जन्म की अवधारणा : कितनी सही
मजेदार चुटकुला मजा आ गया .....
जवाब देंहटाएंवाह! वाह! वास्तव में राजनेताओं से ज्यादा हंसी का कोई और पत्र नहीं हो सकता।
जवाब देंहटाएं:) खूब कही और खरी कही ....
जवाब देंहटाएंबहोत खूब :)
जवाब देंहटाएंएक कव्वा प्यासा था ! जगमे थोडा पानी था ! कव्वेने डाला पत्थर, पानी आया ऊपर ! कव्वा पीया पानी, हो गई कहानी !
कवि एक यैसे कव्वे कि तरह है जो पानी का प्यासा है और प्रेम का भूखा है ! और नेता एक ऐसे गीदड़ कि तरह है जो खून का प्यासा है और मांस का भूखा है ! इस धरती पर शायद ही कभी ऐसा जिवन होगा जब एक नेता कवी होगा, एक साइनटिस्ट कवी होगा, एक प्रधानमंत्री और राष्ट्रपती भी एक कवि होगा !
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कवि हमारे परिवार में, समाज में, सबसे ज्यादा संवेदनशील प्राणी है अगर दुनिया में कवि न होते चित्रकार न होते, शिल्पकार न होते तो दुनिया सौंदर्यविहीन हो जाती जीने लायक कुछ न होता, लेकिन परिवार,समाज देश के लिए यही बेहतरीन इंसान गैर जरुरी और बर्दाश करने लायक है ! महत्वपूर्ण संवेदनशील जगहों पर गलत असंवेदनशील लोग बैठे है, दुनिया के बेहतरीन इंसान इन सबसे कटकर अपने तक ही सिमित हो गए है उनको लगता है राजनीती और काव्य का क्या लेना देना है ! काश भीतर ध्यान बाहर प्रेम हो तो राष्ट्रपति क्या प्रधानमंत्री क्या हर चीज संभव नहीं हो जाती ?
हटाएंthanks bro :)
जवाब देंहटाएंthanks for your comment ...
वाह वाह सुमन जी मजा आ गया। अटल जी कवि हैं, प्रधान मंत्री थे और सज्जन भ ।ये अपवाद रूप में हो सकते हैं। काले दन और स्विस बैंक की बात सुना कर बाल खडे करवाने का नाई का टेकनिक पसंद आया।
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