तेईस नवम्बर को दिल्ली में हमारे कलीग कम करीबी मित्र के बेटे की शादी थी ! इस शादी में हैदराबाद से तक़रीबन हम बीस लोग शामिल हुए थे ! सभी वकील मित्र अपने अपने परिवार के साथ आये हुए थे ! दिल्ली के बेहतरीन होटेल "शांति पैलेस" में हम सबके रहने का इंतजाम किया गया था ! शादी अटेंड करके दूसरे दिन कुछ मित्र वापिस हैदराबाद चले गए ! बाकि के हम चौदह लोग वहाँ से जयपुर, फतेहपुर, आगरा, मथुरा देखने के लिए रवाना हो गए ! प्लान के हिसाब से कुछ खट्टी मीठी यादों के साथ कुल मिलाकर एक बढ़िया सफर रहा ! अभी कुछ दिन पहले ही इस सफर से लौटी हूँ !
हैदराबाद का लड़का दिल्ली की लड़की दोनों बेंगलोर में पढते थे ! दोनों बच्चे डॉक्टर है, पढाई के दौरान दोनों में मित्रता हुयी, मित्रता प्रेम में और फिर दोनों परिवारों की रजामंदी से हुआ प्रेम विवाह ! मुझे लगा मित्रता एक विशेष संबंध है जिसमे जाती-पाती, धर्म, समाज के कोई कायदे कानून मायने नहीं रखते प्रेम ही सब कुछ हो जाता है, प्रेम सारी रुकावटों को पार कर देता है ! मित्रता से ऊँचा रिश्ता और कोई नहीं हो सकता बशर्ते की इस रिश्ते में ईर्ष्या, जलन, एकाधिकार की भावना, झगड़े, अपने प्रिय को खोने का डर न हो तो, नहीं तो यह रिश्ता भी अन्य रिश्तों की तरह एक बंधन बन सकता है !
इस प्रवास के दौरान ट्रेन में मै एक पत्रिका पढ़ रही थी ! एक लेख में बड़ा ही अनोखा शब्द पढने को मिला "Synchronicity" तब तो मेरे पास इसे जानने के लिए कोई साधन नहीं था ! अभी गूगल पर सर्च किया तो पता चला इस शब्द के कई सारे अर्थ निकलते है याने की यह बहुआयामी शब्द है ! इस शब्द का प्रयोग Swiss Psychologist Carl Gustav Jung ने किया है ! किसी अन्य भाषा में इसका उल्लेख नहीं है बिलकुल नया शब्द है सिन्क्रॉनसीटी ! इसका अर्थ जो क़ि मुझे बहुत पसंद आया … " एक खास प्रकार की लयबद्धता जिसको कहते है मित्रता, जिसको कहते है प्रेम, दो व्यक्तियों का संयोगवश मिल जाना, दो व्यक्तियों के एक जैसे विचारों का मिलना, दो हृदयों का अकारण एक साथ धड़कना " !
कितना मजेदार संयोग है न एक जैसे व्यक्तित्व के दो व्यक्तियों का मिलना,मित्रता होना प्रेम होना फिर दोनों शादी के अटूट बंधन में बंध जाना ! प्रेम विवाह एक खास किस्म का मेल मिलाप जिससे सारा उलझा हुआ पजल अचानक हल होने लगता है !
बड़े सुखद अनुभव होते हैं शादियों में...फिर ये तो प्रेम विवाह था....तिस पर मित्रों के साथ यात्रा....
जवाब देंहटाएंऔर भी संस्मरण साझा करियेगा..
सादर
अनु
बहुत सुंदर यादगार संस्मरण .........!!
जवाब देंहटाएंसुंदर संस्मरण ......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संस्मरण.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : आंसुओं के मोल
बढ़िया ,रोचक सुन्दर संस्मरण,...!
जवाब देंहटाएं----------------------------------
Recent post -: वोट से पहले .
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जवाब देंहटाएंपूरा ट्रिप और फ़ोटो भी देते तो हम भी घूम लेते मथुरा आगरा :)
जवाब देंहटाएंआपकी बात बहुत प्यारी लगी ....वाकई मन का मेल हो जाये तो बड़ी से बड़ी अड़चन भी कितनी गैर मामूली ...कितनी गौण लगने लगती है...बस सिर्फ ज़रुरत है ...हौसले की. आपसी तालमेल की और एक दूसरे के लिए कुछ भी करने के जज़बे की...बड़े से बड़े संकट भी कट जाते हैं...और जीवन एक सुख स्वप्न बन जाता है .....!!!
जवाब देंहटाएंसुखद अनुभव ......... मित्रों के साथ
जवाब देंहटाएंमित्रता से ऊँचा रिश्ता और कोई नहीं हो सकता बशर्ते की इस रिश्ते में ईर्ष्या, जलन, एकाधिकार की भावना, झगड़े, अपने प्रिय को खोने का डर न हो तो, नहीं तो यह रिश्ता भी अन्य रिश्तों की तरह एक बंधन बन सकता है !
जवाब देंहटाएंयात्रा संस्मरण के बहाने एक बहुत ही प्रभावशाली विचार अभिव्यक्त हुआ है, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
सुंदर संस्मरण। शब्द सिंक्रॉनिसिटि अच्छा लगा इसी से मिलता जुलता एक शब्द है सिरेनडिपिटि उसका भी कुछ ऐसा सा ही अर्थ है।
जवाब देंहटाएंप्रेम से ज्यादा शक्तिशाली कुछ है नहीं. यह बिलकुल सच है. सुन्दर बात कही है आपने आपने इस पोस्ट के माध्यम से. चित्र से यह दिल्ली के लालकिले का पर्यटकों के लिए प्रवेश द्वार लग रहा है ?
जवाब देंहटाएंनिहार जी,
हटाएंये आगरा का रेड फ़ोर्ट है जिसे लाल किला भी कहा जाता है,
आभार टिप्पणी के लिए !
बहुत सुंदर संस्मरण!
जवाब देंहटाएंशादी फिर घूमना फिरना फिर वापसी ... सही और सच्चे मित्र मिलना जरूरी है ऐसे सफर के दौरान ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा... भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
:) बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया यात्रा वृतांत .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट चंदा मामा
नई पोस्ट विरोध