इन दिनों सतीश जी का लिखने का उत्साह देखकर कितना अच्छा लगता है न एक मन ने कहा , एक के बाद एक नायाब शेर लिख मार रहे है ! और ताऊ जी हर दुसरे दिन एक पोस्ट लिखने वाले पता नहीं इन दिनों कहाँ ग़ायब से हो गए है लगभग तीन हफ्ते से एक भी नई पोस्ट नहीं आयी उनकी !ब्लोगिंग के अलावा भी कितने सारे काम होते है किसी काम में व्यस्त होंगे दुसरे मन ने कहा ! रश्मि प्रभा जी ने भी लिखना कितना कम कर दिया है ! संगीता जी भी पंधरा दिन को एक पोस्ट लिखती है ! रमण जी तो महीने में कभी एखाद पोस्ट डालते है अपने ब्लॉग पर, कुछ मित्रों की वजह से जो रौनक दिखाई देती है हमारे ब्लॉग जगत में पता नहीं क्यों आजकल कुछ सुना -सुना सा लग रहा है टहलते टहलते अचानक मेरे इन विचारों को ब्रेक सा लगता है, मेरे बाजू से जीतनी तेजी से मिसेज वर्मा और मिसेज शर्मा वाकिंग करते हुए गुजर रही थी उतनी ही तेजी से आपस में टॉकिंग कर रही थी न चाहते हुए भी उनकी बाते मेरे कान में पड़ ही गई … !
मिसेज वर्मा मिसेज शर्मा से पूछ रही थी जो की दोनों अच्छी दोस्त भी है । "लगता है आज अकेली ही आयी हो ? शर्मा जी नहीं आए टहलने क्या बात है ? पता नहीं तुम वर्मा जी को रोज सुबह टहलने कैसे ले आती हो ? मुझे इनको जगाने में बड़ी दिक्कत होती है "! सहेली की बात सुनकर वर्मा साहब की मिसेज ने कहा … "वो भी कहाँ अपने आप जागते है मुझे जबरदस्ती जगा कर लाना पड़ता है आखिर घर के साथ साथ मुझे उनकी बढती तोंद का भी ख्याल रखना पड़ता है "! मै तो रोज सुबह उनको जगाने के लिए एक तरकीब अपनाती हूँ क्यों न तुम भी वह तरकीब अपनाओ ! कौन सी तरकीब ?सहेली ने पूछा ! मेरी जो पालतू बिल्ली है न मै उस बिल्ली को मजे से सो रहे अपने पति पर फेक देती हूँ ! लेकिन बिल्ली फेकने से कैसे कोई उठता है ?सहेली का मासूम सा प्रश्न सुन कर वर्मा साहब की मिसेज ने कहा "उठना ही पड़ता है,क्योंकि वो अपने कुत्ते के साथ सोते है उनके कुत्ते और मेरी बिल्ली में जब घमासान युद्ध छिड़ता है अपने आप उठ कर टहलने आ जाते है बड़ा लाभदायक तरीका है आजमा कर देख लेना कल "!
फिर उनकी बाते मेरे कान की पहुँच से बहुत दूर होती गई ….! क्या मिसेज शर्मा अपने सहेली की बतायी हुयी तरकीब अपनायेंगी कल ? क्या मॉर्निंग वाक् पर शर्मा जी टहलने आ जायेंगे ? आपके साथ साथ मुझे भी उत्सुकता है कल के सुबह की … !
हमने किसका,मुंह देखा था, सुबह सवेरे उठते ही !
जवाब देंहटाएंआज न जाने कहाँ से चल के,नारायण घर आये हैं !
tarkeeb to acchhi hai .......
जवाब देंहटाएंआपने सही कहा ! इन दिनों सतीश जी के लिखने का उत्साह मुझे लिखने को प्रेरित करता है,
जवाब देंहटाएंनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
आपने सही कहा
जवाब देंहटाएंकुत्ते और बिल्ली के रूप में संसार को भलिभांति अभिव्यक्त किया है. दोनों अति निकट रहते हुये भी विपरीत ध्रूवों के स्वभाव वाले हैं. यदि कुत्ते बिल्ली की लडाई समझ आ जाये तो जीवन समझ आजाये. मन के द्वंद को बहुत ही सुगमता से अभिव्यक्त किया है, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सतीश जी स्वस्फ़ूर्त कवि हैं, उनकी सामान्य बोलचाल में ही यह सत्य अभिव्यक्त होता है. हमारी गैरमोजूदगी में वो निरंतर लिख रहे हैं यह उत्साहजनक है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कुछ आवश्यक कार्य की वजह से अपने शहर से दूर हूं, अभी सिर्फ़ टिप्पणियां ही कर पा रहा हूं वो भी देर से. आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बहुत आभार ताऊ जी,
हटाएंआपको ब्लॉग पर सक्रीय करने का बहाना मात्र है यह पोस्ट !
आपके लौटने का इंतजार रहेगा :)
सादर !
खुबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
सहमत हूँ.....सहजता से समझाई बात ....
जवाब देंहटाएंथोडा और काम में बिजी हूं, इसलिए समय नहीं निकाल पा रहा हूं। यही वजह कि कुछ आराजक तत्व अपनी मनमानी कर रह हैं।
जवाब देंहटाएंहाहाहहाहाहहा, कैसे मजा आएगा। बेचारे ब्लागर ठगे गए, जितना खर्च हो गया, उसके हिसाब से मिला कुछ नहीं।
दो चार ब्लागरों के टुटपुंजिया अखबारों में संपर्क है, तो वो अपना नाम वहां छपवाकर वाहवाही लूट रहे हैं, बाकी बेचारे निराश हैं।
बहुत मजेदार आलेख ..
जवाब देंहटाएंरोचक प्रसंग...फिर क्या हुआ अगले दिन....!!!
जवाब देंहटाएंनिगाहें तो देख लीन ... अब निशाना कहां था ये देखना बाकी है बस ...
जवाब देंहटाएंमस्त रोचक पोस्ट ...
अच्छा हो कि लोगबाग कुत्ते-बिल्लियों को घर छोड़कर ही मॉर्निंग वाक पर निकलें। मॉर्निंग वाक का मतलब है-मैं हूं और प्रकृति है।
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