दिन जो की
कल भी वही था
आज भी वही है
जो कल आयी थी
वही तो सुबह है !
हाथ में फीकी
चाय की प्याली
साथ में अख़बार
अख़बार में वही
बासी खबरे है !
भ्रष्टाचार,कालाबाजारी
भ्रष्ट अफसर बेईमान नेता
बाबाओं के वही सब
काले चिट्टे कारनामे है !
नई सुबह में ऐसी
क्या खास बात है ?
आम आदमी को प्याज
कल भी रुलाता था
आज भी रुला रहा है
महिलाओं पर अत्याचार
कल भी होते थे
आज भी हो रहे है !
ज्योति बुझाने वालों को
क्या हक़ बनता है
उजालों में रहने का ?
नाबालिग अपराधी को
तीन साल की सजा ?
इस फैसले के दुसरे
या तीसरे दिन से ही
नाबालिग बलात्कारियों की
संख्या में अचानक वृद्धि
हुई है !
बासी ख़बरों के साथ-साथ
आज की ताज़ी चौंकाने वाली
खबर यह भी है … !!
सुंदर भावनायें और शब्द भी …बेह्तरीन अभिव्यक्ति …!!शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबस वही पीडाएं बारबार, बहुत सशक्त अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बस यही अन्याय और अत्याचार की खबरें ही है,,
जवाब देंहटाएंविकास की ,परिवर्तन की खबरें तो महज सोच में रह गयी है..
यथार्थ कहती रचना..
यथार्थ! प्रस्तुति करती बेहतरीन रचना !!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बिखरे स्वर.
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जवाब देंहटाएंक़ानून में तुरंत बदलाव की ज़रूरत है. वह निर्णय किताब के हिसाब से ठीक हो लेकिन सब जानते है की वह कही से भी न्याय नहीं है. सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंयथार्थ का बयां करती अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
आपके विचारों की दूरदर्शिता सबके लिए विचारणीय है ...कुछ ऐसा ही परिणाम होगा
जवाब देंहटाएंsashakt evam saarthak abhivyakti
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन की सुबह का उत्तम चित्रण । हां यह बात अलग है किसी के पास मीठी और किसी के पास फीकी चाय होती है
जवाब देंहटाएंअरे फीकी चाय क्यों पी रही हैं ,हम यहाँ मेहनत किसके लिए कर रहे हैं?अगर अखबार की खबरें चाय को फीका कर दे रहि हैं तो बात अलग है ,मान लीजिए कि कलियुग आ गया है.
जवाब देंहटाएंवैसे कविता सोचने पर विवश कर रही है
अजी चाय कौन फीकी पीता है :) ? हम तो ध्यान के साथ जोड़ देते है हर चीज को,
हटाएंवैसे सही कहा है अख़बार की खबरे सुबह सुबह मीठी चाय को भी फीका कर देते है !
आभार टिप्पणी के लिए आयेंगे आपके ब्लॉग पर बस कुछ देर में :)
यथार्थ का बयां करती अच्छी रचना |
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