मैंने,
उसे भुलाने के लिए
क्या कुछ नहीं किया
गीत लिखने का लिया
सहारा
बार-बार शब्द बदले
कई बार भाव बदले
लेकिन लिखते-लिखते
हर बार गीत उसीका
निकला ....
फिर मैंने,
उसे भुलाने के लिए
चित्रकारी का लिया
सहारा
बार-बार रंग बदले
कई बार तुलिका बदली
दिल के कैनवास पर
रेखाएँ बनाते-बनाते
हर बार चेहरा उसीका
निकला ....
फिर मैंने,
उसे भुलाने के लिए
ध्यान,योग साधन
अपनाया
अपनाया
सब राग रंग त्यागा
बार-बार मुद्राएँ बदली
कई बार आसन बदले
ध्यान लगाते-लगाते
अब क्या बताऊँ ?
वो ध्यान भी उसीका
निकला ....
सब कुछ मुमकिन है
दुनिया में लेकिन
कितना नामुमकिन है
मन के मीत को
भुला पाना !
...बहुत ही सुन्दर रचना!...अपने आप में एक अनूठा विषय समेटे हुए है!..बार बार पढ़ी जा सकती है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .... जब मन मीट से मिला हो तो हर प्रयास में उसी का रूप दिखता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंबेटी दामिनी
जवाब देंहटाएंहम तुम्हें मरने ना देंगे
जब तलक जिंदा कलम है
नामुमुकिन है मन के मित को भुला पाना,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : नववर्ष की बधाई
भूलना आसन नहीं है
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से, बोझिल है ,
जवाब देंहटाएंमन,कर्जा चढ़ा मानिनी का !
चलते थे,भारी मन लेकर,
मन में बोझ,संगिनी का !
दारुण दुःख में साथ निभाएं,कहाँ आज हैं,ऐसे मीत !
प्यार के करजे उतर न पायें ,खूब जानते मेरे गीत ! २५
सत्य वचन!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर। नव वर्ष-2013 की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ। मेरे नए पोस्ट पर आपके प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंकुछ चीजें कभी भुला पाना संभव नहीं है...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।।।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।।।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंदिन तीन सौ पैसठ साल के,
जवाब देंहटाएंयों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।
कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।
शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
इस उम्मीद और आशा के साथ कि
ऐसा होवे नए साल में,
मिले न काला कहीं दाल में,
जंगलराज ख़त्म हो जाए,
गद्हे न घूमें शेर खाल में।
दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
ऐसा होवे नए साल में।
Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.
May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!
जो दिल में रहते हैं उन्हें भुला पाना आसान नहीं होता ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियाँ ...
आपको २०१३ की मंगल कामनाएं ...
फिर मैंने,
जवाब देंहटाएंउसे भुलाने के लिए
ध्यान,योग साधन अपनाया
सब राग रंग त्यागा
बार-बार मुद्राएँ बदली
कई बार आसन बदले
ध्यान लगाते-लगाते
अब क्या बताऊँ ?
वो ध्यान भी उसीका
निकला ....
kyaa baat hai ...!!
kaun hai wo ...???:))
हा ...हा ... यह बड़ी राज की बात पूछी है आपने पर बताने से रचना की खूबसूरती चली जाती है ...मजेदार है टिप्पणी आभार !
हटाएंजिज्ञासा वही हरकीरत जी वाली थी पर जवाब तो आप दे ही चुकी हैं. बहुत ही बेहतरीन और सटीक संप्रेषण है, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सब कुछ मुमकिन है
जवाब देंहटाएंदुनिया में लेकिन
कितना नामुमुकिन है
मन के मित को
भुला पाना !
इस स्टेंजा में "मित" की जगह शायद "मीत" होना था, देखियेगा.
रामराम.
जी, गलती सुधार दी है
हटाएंआभार ताऊ जी, ....!