रोटी के बिना हम कविता नहीं लिख सकते, भूखे पेट संगीत भी अच्छा नहीं लगता ! रोटी के लिए पैसा कमाना जरुरी है लेकिन सबकुछ होते हुए भी जीवन में काव्य न हो संगीत न हो तो जीवन नीरस हो जाता है ! संगीत से हमारा मन ही नहीं बल्कि,पशु-पक्षी और पेड़-पौधे भी संगीत से पोषण ग्रहण करते है ! कृषि वैज्ञानिकों ने पौधों पर प्रयोग कर काफी रोचक जानकारी हासिल की ...अगर फसलों को पुष्पावस्था प्रारंभ होने के पश्चात से लेकर फसल पकने तक फसलों को संगीत सुनाया जाए तो दस से पन्द्रह प्रतिशत उत्पादन अधिक होगा ! खासकर पुराना लोक संगीत और शास्त्रीय संगीत ! मैंने अपना बचपन का बहुत सारा समय अपने सुन्दर छोटे से गाँव में बिताया है ....तब मै देखती कि, शायद अनजाने में ही सही यही कारण रहा होगा ... गांव की महिलायें जब चक्की पर आटा पीसती बहुत सुन्दर गीत गाया करती थी ! खेतों में धान की बुआइ कटाइ करते समय भी गीत गाया जाता था और गाय बैलों को चारा चराते जंगल में चरवाहे बंसी बजाते थे ! आज तो गाँव को भी नए ज़माने की हवा लग गई है सब कुछ आधूनिक हुआ है वहाँ भी ..अब तो सब कुछ सपने जैसा लगता है !
हमारे मनीषियों ने भी नाद को जीवन का आधार माना है कुल मिलाकर सारा अस्तित्व ही अंतर्निहित संगीत से ही संचालित होता है ! ओशो कहते है "संगीत ध्यान का सुगमतम उपाय है ! जो संगीत में डूब सकते है उन्हें डूबने की और किसी दूसरी चीज को खोजने की कोई आवश्यकता नहीं है " !
जो संगीत में डूब सकते है उन्हें डूबने की और किसी दूसरी चीज को खोजने की कोई आवश्यकता नहीं है " !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बात लिखी है आपने ...शब्दशः सहमत हूँ ...
सुंदर गीत संगीत से सुनने से मन को शांती मिलती है,,
जवाब देंहटाएंबहुत खूबशूरत सुंदर प्रस्तुति,,
recent post: बात न करो,
बिलकुल सच्ची बात.....
जवाब देंहटाएंसंगीत सारे दर्द हर लेता है....
सादर
अनु
सबके वश में कहाँ है संगीत में डूबना ... काश मुझे भी कुछ समझ होती .... पर पुराने गाने बहुत अच्छे लगते हैं :)
जवाब देंहटाएंभूखे भजन न होत गोपाला .. पेट भरा हो तो फिर संगीत का आनंद ही कुछ और है।।सुन्दर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति हेतु आभार .!
जवाब देंहटाएंदहेज़ :इकलौती पुत्री की आग की सेज
पौधों में जीवन होता है यह वैज्ञानिक सत्य है !
जवाब देंहटाएंगाँव की कुछ फोटो देतीं तो आनंद आ जाता
बाबा किसान तो थे पर इसके पहले एक शिक्षक भी थे
हटाएंशिक्षा का महत्व वे जानते थे इसलिए गाँव में चौथी कक्षा के बाद
मुझे अपने भाइयों के साथ शहर में पढने भेज दिया ....फिर हम लोग यदा कदा ही गाँव जाते थे ! कभी फोटो लेने की बात भी दिमाग में नहीं आई ...काश सच में सतीश जी,फोटो होते ...आज सिर्फ स्मृतियाँ ही बाकी रह गई है !
संगीत हमारे जीवन को रसमय बना देता है। पोस्ट अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसंगीत औए काव्य जीवन को सुचारू ढंग से चलाता है .... ओर भुत जरूरी अंग हैं जीवन के ... सच कहा है आपने ...
जवाब देंहटाएं