शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली ....


रुनझुन-रुनझुन 
ज्योति की 
पायल बजी 
जागा प्रभात 
जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली 
जगमग-जगमग आयी है दिवाली !

आंगन-आंगन 
सजी रंगोली 
बंधी तोरण 
द्वार -द्वार 
फूल मालाओं की झालर न्यारी 
जगमग-जगमग आयी है दिवाली !

मनभावन अल्पना 
रंग रंगोली 
प्रांगण सुचित्रित 
लगती प्यारी 
सुख बन, सुषमा बन घर भर छायी 
जगमग-जगमग आयी है दिवाली !

तम की विकट 
निशा बीती 
चिर-सत्य की 
विजय हुई 
दिगदिगंत के छोर तक गूँजी  जयभेरी 
दीप जले खुशियों के आलोक वृष्टी चहूँ ओर हुई !!

9 टिप्‍पणियां:

  1. बढिया जानकारी , दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (मुहब्बत का सूरज) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  3. दीपावली की अनेक शुभ कामनाएं आपको और आपके परिवार को ।

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  4. बहुत सुंदर, अच्छी रचना

    धनतेरस की बहुत बहुत शुभकमानएं

    एक नजर मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर डालें

    http://tvstationlive.blogspot.in/2012/11/blog-post_10.html?spref=fb

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  5. सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,

    मिलजुल के बनाए दिवाली ,

    कोई घर रहे न रौशनी से खाली .

    हैपी दिवाली हैपी दिवाली .

    तम की विकट
    निशा बीती
    चिर-सत्य की
    विजय हुई
    दिगदिगंत के छोर तक गूँजी जयभेरी
    दीप जले खुशियों के आलोक वृष्टी चहूँ ओर हुई !!

    बढ़िया विवरण प्रधान रचना

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  6. क्या लिखें भाई ,ये तो हर दिल की कामना है

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