यंत्रों के
शहर में
फल-फूल रही
यंत्रों की माया
लंबी चौड़ी सड़के
सड़कों पर
सुबह से शाम
भागते दौड़ते
यंत्रवत मनुष्य ....
***
धुवां ही धुवां
काला कडूवा
धुवां शहर मे
प्राण वायु
की कमी
हवा के
बदन में
जैसे
जहर घुला
हुआ ....
आपने सही कहा,आज शहरो में मनुष्य यंत्रवत हो गया है,,,
जवाब देंहटाएंrecent post...: अपने साये में जीने दो.
बिल्कुल सही
जवाब देंहटाएंक्या कहने
अब सब यंत्र ही बचा है .... सटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसटीक रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
:-)
बेहद उम्दा सटीक रचना
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा - www.arunsblog.in
सत्य कथन |सटीक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सही विश्लेषण आज की जिन्दगी और प्रदूषण गागर में सागर भर दिया सुमन जी बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सही । हवा के बदन में जहर घुला है ।
जवाब देंहटाएंसच कहा ... आज का सत्य ...
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