रुनझुन-रुनझुन
ज्योति की
पायल बजी
जागा प्रभात
जैसे नभ में छिड़की कुंकुम लाली
जगमग-जगमग आयी है दिवाली !
आंगन-आंगन
सजी रंगोली
बंधी तोरण
द्वार -द्वार
फूल मालाओं की झालर न्यारी
जगमग-जगमग आयी है दिवाली !
मनभावन अल्पना
रंग रंगोली
प्रांगण सुचित्रित
लगती प्यारी
सुख बन, सुषमा बन घर भर छायी
जगमग-जगमग आयी है दिवाली !
तम की विकट
निशा बीती
चिर-सत्य की
विजय हुई
दिगदिगंत के छोर तक गूँजी जयभेरी
दीप जले खुशियों के आलोक वृष्टी चहूँ ओर हुई !!
बढिया जानकारी , दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंदीपावली मंगलमय हो...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (मुहब्बत का सूरज) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
बहुत बहुत आभारी हूँ आपकी !
हटाएंदीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,
दीपावली की अनेक शुभ कामनाएं आपको और आपके परिवार को ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर, अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंधनतेरस की बहुत बहुत शुभकमानएं
एक नजर मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर डालें
http://tvstationlive.blogspot.in/2012/11/blog-post_10.html?spref=fb
सौहाद्र का है पर्व दिवाली ,
जवाब देंहटाएंमिलजुल के बनाए दिवाली ,
कोई घर रहे न रौशनी से खाली .
हैपी दिवाली हैपी दिवाली .
तम की विकट
निशा बीती
चिर-सत्य की
विजय हुई
दिगदिगंत के छोर तक गूँजी जयभेरी
दीप जले खुशियों के आलोक वृष्टी चहूँ ओर हुई !!
बढ़िया विवरण प्रधान रचना
क्या लिखें भाई ,ये तो हर दिल की कामना है
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