"सुरभित सुमन"
शनिवार, 18 अप्रैल 2020
सीमित के आगे
असीमित होकर
ऐसे ही विकसित
हुआ जा सकता है
जैसे किसी बुद्धिमान ने
एक छोटी रेखा को
बिना मिटायें
बिना चोट पहुँचायें
उसके आगे एक
लंबी रेखा खिंच दी !
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