उधर
पानी का स्तर
घट गया !
इधर
पानी को लेकर
झगड़े बढ़ गए
सप्लाई कम हुई !
ऐसे में देखिये
बढ़ गई
सूरज की दादागिरी !
किरण किरण
लिए संग
उलीच उलीच कर
जलाशयों से घर
ले जा रहा है
पानी ... !
पानी का स्तर
घट गया !
इधर
पानी को लेकर
झगड़े बढ़ गए
सप्लाई कम हुई !
ऐसे में देखिये
बढ़ गई
सूरज की दादागिरी !
किरण किरण
लिए संग
उलीच उलीच कर
जलाशयों से घर
ले जा रहा है
पानी ... !
बहुत खूब ... यही तो विसंगती है
जवाब देंहटाएंआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 99वीं जयंती - पंडित रवि शंकर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंदादागीरी नहीं भगिनी सुमन, इसे डकैती कहते हैं. दिन दहाड़े पानी चुराकर ले जाता है!बहुत ख़ूब..!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा लिखा है...!
अति सुंदर लेख
जवाब देंहटाएंRaksha Bandhan Shayari
बहुत सुन्दर सुमन जी 🙏
जवाब देंहटाएंहै तो दादागिरी ...
जवाब देंहटाएंलेखन कम क्यों ?
लेखन कम किया नहीं हुआ है, एक तो परिवर्तन का असर हर चीज़ पर पड़ा है तो लेखन पर भी
जवाब देंहटाएंपड़ा है ! तब इसलिए निरंतर नियमित लिखती थी कि आप सब मित्रों को यह दिखाना था कि
मैं भी कुछ “हूँ” ! अब सिर्फ़ हूँ यही आप सबको बताने के लिए लिखती हूँ !
आभारी हूँ ब्लॉग पर आने के लिए , प्रणाम स्वीकारें !
प्रणाम !
हटाएंआप महत्वपूर्ण थीं और हैं ...आप जैसे पाठक लेखक, जान होते हैं रचना की !
आभार
बहुत सुन्दर सुमन जी!... बधाई!
जवाब देंहटाएंयदि आप संवेदनाओं से भरी रचनाएँ पसन्द करते हैं तो एक बार मेरे प्रोफाइल पर आये।पसन्द आएं तो फॉलो कमेंट करके आशीर्वाद दें
हटाएंएक बार मेरे ब्लॉग पर जाकर कुछ रचनाओं का आनद लें।यकीन मानिए निराश नही होंगे
जवाब देंहटाएं