नियमित समय पर
पिछले वर्ष भी
आया था बसंत
इस वर्ष भी आया है
अगले वर्ष भी आयेगा
इसमें ख़ास बात
क्या है ?
जो पड़े है अपने ही
खोल में बंद उन अहंकारी
बीजों के लिए नहीं
जो बंद खोल को
सहजता से त्यागकर
मिट्टी में ख़ुद को
गलाते है !
सर्दी,गरमी,तेज़
बारिश को भी
प्रसन्नता से सहकर
अंकुरित होते है
जो आँधी,तूफ़ानों से
निडरता से लड़कर
पल्लवित,पुष्पित हो
हवाओं में अपनी
ख़ुशबू बिखराते है
उन फूलों के लिए ही
हर वर्ष आता है बसंत
यही ख़ास बात है !
पिछले वर्ष भी
आया था बसंत
इस वर्ष भी आया है
अगले वर्ष भी आयेगा
इसमें ख़ास बात
क्या है ?
जो पड़े है अपने ही
खोल में बंद उन अहंकारी
बीजों के लिए नहीं
जो बंद खोल को
सहजता से त्यागकर
मिट्टी में ख़ुद को
गलाते है !
सर्दी,गरमी,तेज़
बारिश को भी
प्रसन्नता से सहकर
अंकुरित होते है
जो आँधी,तूफ़ानों से
निडरता से लड़कर
पल्लवित,पुष्पित हो
हवाओं में अपनी
ख़ुशबू बिखराते है
उन फूलों के लिए ही
हर वर्ष आता है बसंत
यही ख़ास बात है !
बहुत ही सुंदर रचना ,स्नेह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक सोच की रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंगज़ब , और सत्य भी है
जवाब देंहटाएंआभार !
जी हाँ । बिलकुल सच !
जवाब देंहटाएं