बहुत ही साधारण सी बात कहने का बहुत ही असाधारण अन्दाज़! बीमारी इंसान को फ़िलॉसफ़र बना देती है! :) सच कहा है, शब्दों के ट्रैफ़िक जाम में विचारों की गाड़ियों के पहिये रुक से गये हैं. देखें आगे क्या होता है, कब खुलता है यह जाम!! अपना ख़्याल रखें!!
सलिल भाई, आपकी टिप्पणी न साधारण रचना को भी असाधारण बना देती है एक रचनाकार की शायद यही तो मज़बूरी है जीवन,मृत्यु,ध्यान,प्रेम,शांति जैसी महत्वपूर्ण बाते भी कहने के लिए शब्दों का सहारा लेना पड़ता है हालाँकि शब्द सत्य नहीं केवल इंगित मात्र है ! अभिव्यक्ति के लिए केवल सहायक बनते है शब्द ! आपने सच कहा बिमारी मनुष्य को फिलॉसफर बना देती है लेकिन बीमारी फिलॉसफर नहीं साक्षी बना दे तभी बीमारी में भी आनंद है :) आभार टिप्पणी के लिए !
वाह ।
जवाब देंहटाएंउम्मीद है यह शीघ्रातिशीघ्र हो :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही साधारण सी बात कहने का बहुत ही असाधारण अन्दाज़! बीमारी इंसान को फ़िलॉसफ़र बना देती है! :)
जवाब देंहटाएंसच कहा है, शब्दों के ट्रैफ़िक जाम में विचारों की गाड़ियों के पहिये रुक से गये हैं. देखें आगे क्या होता है, कब खुलता है यह जाम!!
अपना ख़्याल रखें!!
सलिल भाई,
हटाएंआपकी टिप्पणी न साधारण रचना को भी असाधारण बना देती है
एक रचनाकार की शायद यही तो मज़बूरी है जीवन,मृत्यु,ध्यान,प्रेम,शांति जैसी
महत्वपूर्ण बाते भी कहने के लिए शब्दों का सहारा लेना पड़ता है हालाँकि शब्द सत्य नहीं केवल इंगित मात्र है ! अभिव्यक्ति के लिए केवल सहायक बनते है शब्द ! आपने सच कहा बिमारी मनुष्य को फिलॉसफर बना देती है लेकिन बीमारी फिलॉसफर नहीं साक्षी बना दे तभी बीमारी में भी आनंद है :)
आभार टिप्पणी के लिए !
खूब.... बेजोड़ बात
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... शान्ति की आजकल बहुत डिमांड है ... शब्द कोष में भी ढूंढें नहीं मिल रही ...
जवाब देंहटाएंSACHMUCH VICHARON KEE BHEED MEN SHANTI KAHAN
जवाब देंहटाएंविचारों को व्यक्त कर दें, बस !!
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !!