न दीन है
न हीन है
है भिन्न
न कमतर है
जो हर घर-घर की धुरी है
वह नारी है ....
बेटी है
बहन है
पत्नी है
माँ है
जो नहीं किसी की परछाई है
वह नारी है ….
सुशिल है
सुकोमल है
सहनशील है
सह्रदय है
जो हर रिश्ते पर वारी है
वह नारी है ....
आत्मविश्वासु है
दृढ़निश्चयी है
आत्मनिर्भर है
स्वयंसिद्ध निरंतर
जो प्रगतिपथ पर अग्रसर है
वह नारी है ....
ओज है
सोज है
सरोज है
काव्यमय
जो अपने अस्तित्व की खोज में है
वह नारी है
वही क्रांति है .... !!
( सभी महिलाओं को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की
हार्दिक शुभकामनायेँ )
बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायेँ ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। । होली की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST - पुरानी होली.
महिला दिवस पर चार साल पहले मैंने एक विस्तृत पोस्ट लिखी थी अपने दूसरे ब्लॉग पर... आज बस उसमें उद्धृत गुलज़ार साहब की एक नज़्म शेयर करना चाहता हूँ...
जवाब देंहटाएंआले भरवा दो मेरी आँखों के
बंद करवा के उनपे ताले लगवा दो.
जिस्म की जुम्बिशों पे पहले ही
तुमने अहकाम बाँध रखे हैं
मेरी आवाज़ रेंग कर निकलती है.
ढाँप कर जिस्म भारी पर्दों में
दर दरीचों पे पहरे रखते हो.
फिक्र रहती है रात दिन तुमको
कोई सामान चोरी ना कर ले.
एक छोटा सा काम और करो
अपनी उंगली डबो के रौग़न में
तुम मेरे जिस्म पर लिख दो
इसके जुमला हुकूक अब तुम्हारे हैं.
हालाँकि बहुत बदलाव आया है, समय के साथ.. लेकिन उससे ज़्यादा बदलाव की ज़रूरत है!! आपने मुझे तो बधाई नहीं दी (मेरे घर में भी दो महिलाएँ - मेरी पत्नी तथा पुत्री हैं) लेकिन मेरी ओर से आपको तथा तमाम महिलाओं को जिनका जन्म देने से लेकर मुझे बनाने में प्रत्यक्ष या परोक्ष योगदान रहा है, महिला दिवस की शुभकामनायें!!
आदरणीय सलिल जी,
हटाएंमहिला दिवस के खास मौके पर गुलजार साहब की इस सुन्दर नज्म को शेअर करने का बहुत बहुत शुक्रिया ! कल हम महिलाओं का दिन है इसलिए आपको बधाई नहीं दी है :)
लेकिन हर वो शख्स बधाई का पात्र है जिनके सहयोग के बिना हम महिलाओं का कोई अस्तित्व नहीं है, अपनों के सहयोग के बिना मिला हुआ हर मुकाम हर जीत अधूरी समझती हूँ मै ! बहुत बहुत आभार सार्थक टिप्पणी के लिए, आपके दूसरे ब्लॉग का लिंक दीजिये !
कमाल की बात है कि मेरे/हमारे दूसरे ब्लॉग से तो आप पह्ले से ही जुड़ी हैं. अभी देखा कि आपकी टिप्पणी आज से तीन साल पहले वहाँ है!! :)
जवाब देंहटाएंहमारा ब्लॉग - सम्वेदना के स्वर!!
वाकई मान गए आपको :)
हटाएंओशो पर एक पोस्ट थी आपकी "उलझे धागे " इस पोस्ट पर थी मेरी टिप्पणी !
दिमाग से कैसे सरक गया यह ब्लॉग यही सोच रही हूँ :(
आनंदमय रचना ! आभार आपका …
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर ढंग से विषय को अभिव्यक्त किया आपने. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
नई पोस्ट : पंचतंत्र बनाम ईसप की कथाएँ
बहुत उम्दा....हर रूप में सार्थक भूमिका निभाती नारी
जवाब देंहटाएंपूर्णता का अनुभव कराती सुंदर कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
नारी क्रान्ति है ... सम्पूर्ण है ... सार्थक धब्दों से बुनी रचना है ...
जवाब देंहटाएंsundar aur anupam rachana
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