मत पसारे हाथ अपने
किसी के भी सामने
दया के लिए वह
चाहती हूँ आज
हर घर -घर में
नारी सक्षम
होनी ही चाहिए
तभी ,
सही मायने में
नवरात्रि का उत्सव
शक्ति की पूजा
सार्थक कहलाएगी !
लेकिन गाँव,कस्बों में
आज भी
विद्या से वंचित है
सरस्वती
पैसे -पैसे के लिए
मोहताज है
लक्ष्मी
दुर्बल कितनी ही
है गौरी , दुर्गा
सबके खाने पर
बचा खुचा खाती है
अन्नपूर्णा आज भी ,
जानती हूँ उनका डर
पढ़, लिखकर
आत्मनिर्भर बन कर
उनके नियमों के खिलाफ
कही विद्रोह
न कर दे नारी …
बेहद खूबसूरत रचना है , नवदुर्गा पूजन पर समाज पर एक बढ़िया चोट की है , आभार ओर बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11-10-2013) को " चिट़ठी मेरे नाम की (चर्चा -1395)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंनवरात्रि और विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें ओर बधाई.
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया-
नवरात्रि / विजय दशमी की शुभकामनायें-
(१५ दिन की छुट्टी पर हूँ-सादर )
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
नवरात्रि की शुभकामनाएँ .
नारी की शक्ति कौन नहीं जानता......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक रचना है दी....
सादर
अनु
बहुत सटीक लिखा, यथार्थ में कुछ करना होगा. हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सच्चाई लिख दी है आपने. पिछले बरस गाँव गया था तो देखा कि कुछ भी बदला नहीं इतने सालों में.
जवाब देंहटाएंमन के उदद्गार कब क्रियान्वित होंगे नहीं पता ... यथार्थ कहती रचना
जवाब देंहटाएंआज के समाज पर सार्थक और सटीक बेहद खूबसूरत रचना रचना , बधाई आपको !
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
उत्तम प्रस्तुति।।।
जवाब देंहटाएंसामयिक रचना...नारी अब बने दुर्गा
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
पढ़, लिखकर
जवाब देंहटाएंआत्मनिर्भर बन कर
उनके नियमों के खिलाफ
कही विद्रोह
न कर दे नारी ---------
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर और सार्थक रचना
सादर
आग्रह है-
पीड़ाओं का आग्रह---
अब तो नारी को ये विद्रोह करना ही होगा ... वर्ना अती बडती जाएगी ..
जवाब देंहटाएंदशहरा की मंगल कामनाएं ...