शनिवार, 19 अक्टूबर 2013

सपना और यथार्थ …

एक प्राचीन कथा के अनुसार ब्रम्हा ने जब सृष्टि की रचना की तो साथ में यथार्थ और सपने को भी बनाया था ! पर जैसे ही दोनों की रचना हुयी झगडा शुरू हुआ दोनों में कौन श्रेष्ठ है  इस बात का ! यथार्थ ने कहा तुमसे मै श्रेष्ठ हूँ ! सपने ने कहा की मै श्रेष्ठ हूँ ! दोनों का झगडा ब्रम्ह देव तक गया ! दोनों को यूँ झगड़ते देख ब्रम्हा ने कहा अभी सुलझाते है प्रयोग से इस झगड़े को ! उन्होंने कहा कि, तुम में से जो भी अपने पैर जमीन पर गड़ाकर आकाश को छू लेगा वही श्रेष्ठ है ! ब्रम्हा की बात सुनते ही ततक्षण सपने ने आकाश को छू लिया लेकिन उसके पैर जमीन तक पहुँच न सके कारण सपने के पैर नहीं होते ! यथार्थ ने अपने पैर जमीन पर मजबूत गड़ाकर खड़ा हो गया जैसे की कोई पेड़ खड़ा हो, लेकिन ठूंठ की तरह पर हाथ आकाश तक पहुँच न सके क्योंकि यथार्थ के हाथ ही नहीं थे ! दोनों की ओर देखकर ब्रम्ह देव ने मुस्कुराते हुए कहा, कुछ समझ में आया तुम दोनों को ? 
सपना अकेला आकाश में अटक जाता है और यथार्थ अकेला जमीन पर भटक जाता है ! जब तक दोनों में मेल न हो जाए !
और मुझे इस कहानी से यही लगता है कि, सपने और यथार्थ का झगडा कभी मिटेगा नहीं! इसी सपने ने उत्तर प्रदेश में खंडहर हो चुके किले में एक हजार टन सोने के खजाने की खोज के लिए खुदाई का काम करवा दिया है ! मोदी जी ने सरकार के इस अभियान की धज्जिया उड़ाते हुए कहा कि, एक साधू के सपने के आधार पर खजाने की खुदाई से आज पूरी दुनिया में हमारा मजाक उड़ाया जा रहा है ! मुझे उनकी यह बात बहुत पसंद आयी ! यथार्थ परक बात यह थी कि, स्विट्जरलैंड के बैंकों में हिन्दुस्तान के चोर लुटेरों ने जो धन दबाकर रखा है वो एक हजार टन सोने से भी ज्यादा कीमती है किसी तरह उसे वापिस अपने देश लाया जाय तो कोई खजाना खोजने की जरुरत नहीं है ! उस सपने के तो न सर है न पैर है लेकिन इस यथार्थ का सच में सर भी है पैर भी है हम सब जानते है लेकिन काश लंबे हाथ भी होते ?? जो उस काले धन के खजाने तक पहुँच सके   … !! 

11 टिप्‍पणियां:

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    1. आखिर खजाना खोजने में हर्ज़ ही क्या है ! जहां तक विदेश के बैंकों में जमा काला
      धन कोई भी सरकार बने ,पैसा वापस लाना नामुमकिन है,,,,

      RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

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  2. .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (21.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .

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  3. यदि खुदाई में कोई ऐतिहासिक सामग्री भी प्राप्त होती है ,तो भी बुरा नहीं.
    नई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक


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  4. यदि सपने के बहाने खनिज हाथ लगता है तो हर्ज क्या
    नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)

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  5. आज एक दीवार मिली है | पुरातत्व से संबन्धित चीज़ें भी मिल जाती हैं तो घाटे का सौदा नहीं होगा | पर ताम झाम कुछ ज्यादा ही हो गया है |

    मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

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  6. पुरातत्त्व खोज होती तो बात अलग थी ...... यहाँ तो सपने को आधार बना कर खोज की जा रही है ....

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  7. इस विभाग का काम ही है खुदाई करना, इतना हो हल्ला क्यों? बहुत ही सार्थक प्रस्तुती आदरेया।

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  8. इस तरह से भी सोचा जाना चाहिए ..... विचारणीय

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  9. अच्छा लगा इस कथा को खजाने की खोज से जोड़ना.

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  10. यथार्थ ओर सपना यदि एक हो जाए तो धरती ओर आसमां दोनों छुए जा सकते हैं ... देशवासियों को बस यही करना है ... फिर जगह जगह ऐसे सोने मिल सकते हैं ...

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