सोमवार, 18 जून 2012

पतंजलि योग - सूत्र ( पुस्तक परिचय )


योग पहले कभी इतना प्रचलित नहीं था जितना की आज कल हो रहा है ! योग व्यापार की तरह फल फूल रहा है ! हर गली मुहल्ले में योगा सेंटर खुले हुये है  ! अनेक टी. वी. चैनलों पर विभिन्न आसनों द्वारा योग सिखाते योग गुरुओं को हम देख सकते है ! बच्चों से लेकर बड़ों तक योग के प्रति आकर्षण, उत्सुकता  डॉक्टर्स भी मरीज को दवाई की पर्ची के साथ योग के महत्व को समझाकर उसे करने की सलाह देने लगे है!  मकसद सबका एक ही है स्वाथ्य लाभ ! यह एक अच्छी बात है इससे इनकार नहीं किया जा सकता ! लेकिन पतंजलि योग का वास्तविक प्रयोजन क्या रहा होगा ? आइये जानते है ! योग गुरु या तो पतंजलि योग के बारे में कम जानते है या फिर साधकों को बताना उचित नहीं सझते ! क्या पता यह एक व्यपार का ही हिस्सा हो शायद ! यह मेरा अपना दृष्टिकोण है, हर साधक की योग्यता अलग -अलग होती है ! इस योग्यता को ध्यान में रखकर पतंजलि योग का उद्देश उसकी उपयोगिता भी बता देते तो, साधक आगे भी गती कर सकता है ! जैसा की बहुतों का मानना है कि, योग व्यायाम या कसरत क़ी तरह है लेकिन मैंने जब इस पुस्तक को पढ़ा तब पता चला क़ी योग केवल इतना ही नहीं है! योग हमारे समग्र अस्तित्व से,हमारी जड़ों से जुडा है ! योग जीवन रूपांतरण के परम नियमों को जानने का विज्ञान है ! पतंजलि योग का वास्तविक महत्व जब तक साधक को समझाया नहीं जाता कितने ही योगासन करो साधक अपने स्वयं से परिचित नहीं हो सकता, जिसकी चर्चा पतंजलि अपने योग सूत्रों में करते है ! पतंजलि योग के वैज्ञानिक है बुद्ध पुरुषों क़ी दुनिया में आइन्स्टीन क़ी तरह ! उन्होंने मनुष्य के अंतस जगत के निरपेक्ष नियमों का निगमन करके सत्य और मानवीय मानस क़ी चरम कार्य प्रणाली के विस्तार का अन्वेषण और प्रतिपादन किया है ! जैसे विज्ञान कहता है प्रयोग करो वैसे ही योग कहता है अनुभव को जानो ! प्रयोग है भौतिक जगत को जानना, योग है हमारे आंतरिक जगत को जानना अनुभव द्वारा ! योग है जीवन रूपांतरण के गहरे नियमों को जानने का विज्ञान !

कुछ वर्ष पूर्व योग पर कुछ अच्छी सामग्री तलाश कर रही थी ! यहाँ "मेवलाना" में ओशो क़ी पुस्तक प्रदर्शिनी थी ! उस प्रदर्शिनी में एक पुस्तक ने  मुझे आकर्शित किया "पतंजलि  योग-सूत्र " ! इस पुस्तक में पतंजलि योग सूत्रों पर ओशो के बीस प्रवचन उपलब्ध है ! ओशो इन सूत्रों क़ी व्याख्या करते हुये कहते है ......."सूत्रों का अनुवाद करना लगभग असंभव है अत; मै अनुवाद क़ी अपेक्षा व्याख्या करुंगा" तुम्हे अनुभूति देने के लिये, क्योंकि शब्द तुम्हे भटका देंगे ! ओशो द्वारा इन व्याख्याओं को पढ़ते हुये बहुत बार मुझे यही अनुभूति हुई कि, स्वयं पतंजलि ही ओशो के कंठ से बोल रहे है ! पतंजलि योग-सूत्र पुस्तक को पढना सबके लिये उपयोगी है खासकर उन योग साधकों के लिये जिनका जीवन के प्रति मोहभंग हुआ है ! या फिर वे ऐसे योग साधक है, जो प्रयोग के साथ-साथ एक अन्वेषक भी है जो इन योग सूत्रों की गहराइयों में उतरने का साहस भी रखते है !

11 टिप्‍पणियां:

  1. पतंजलि योग - सूत्र ( पुस्तक परिचय ) की बेहतरीन जानकारी,,,,

    बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,,,

    RECENT POST ,,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
    RECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,

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  2. दरअसल रामदेव ने योग को बीमारी से जोड़ दिया है, मसलन अगर आप बीमार हैं या बीमारी से दूर रहना चाहते हैं तो योग करें। ऐसा संदेश लोगों को दिया जा रहा है।
    सच ये है कि योग गुरु पतंजलि के जो सूत्र है, उसका एक सबसे अहम मंत्र है "अपरिग्रह" यानि संग्रह से दूर रहना चाहिए..
    जबकि रामदेव संग्रह ही करते हैं। बहुत बढिया विषय आपने उठाया, मेरा भी लोगों से आग्रह है कि योग करने से पहले योग को जानें जरूर।

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  3. जीवन के प्रति मोहभंग तो नहीं हुआ मगर कभी कभी निराशा के भाव अवश्य आते हैं मन में.....
    अवश्य पढूंगी ये पुस्तक.
    आभार सुमन जी

    अनु

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  4. ..सही कहा आपने सुमन जी!...आज कल योग को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा!...साँसों को अंदर लेने और बाहर छोड़ने को भी योग के तौर पर लिया जाता है!...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  5. मेरा मानना भी यही है ... प्रचार होना अच्छा है ... तभी इसके मर्म कों ही समझा जा सकता है ...

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  6. आपने गौर किया होगा कि अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसी क्रियाएं भी लोगबाग टीवी पर देखते ज्यादा हैं,करते कम हैं। योग की समस्या यह है कि लोग इसे अमल में कम लाते हैं,इसके बारे में देखते-पढ़ते ज्यादा हैं। इसलिए,कम से कम पढ़ने-सुनने के स्तर पर तो कोई दिक्क़त नहीं है। ख़ासकर तब,जब बात ओशो की हो।

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  7. बढ़िया जानकारी, सुंदर पुस्तक परिचय....

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  8. पिछली बार दिल्ली जाने के क्रम में एयरपोर्ट पर यह पुस्तक दिखी थी, पर ख़रीदा नहीं। अबकी बार लेता आऊंगा।

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  9. पतंजलि योग - सूत्र ( पुस्तक परिचय ) की बेहतरीन जानकारी,,,,


    RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,

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