तर्कों से गणित के प्रश्न सुलझाये जा सकते है ! किन्तु इधर कुछ वर्षों में जाना की, जीवन के कुछ प्रश्न तर्कों से सुलझाये नहीं जा सकते ! जितना हम इन्हें सुलझाने की कोशीश करते है, उतने ह़ी उलझते चले जाते है ! जब हमारे आशाओं के विपरीत परिणाम आने लगते है तो, मन तनाव से भर जाता है !डिप्रेशन का शिकार हो जाता है ! ऐसे में ध्यान एक ही उपाय है ! तनाव से मुक्त होने के लिये ! ध्यान शब्द का हम हमारे रोज के जीवन में कई बार प्रयोग करते है किन्तु, जिस ध्यान की मै यहाँ पर बात कर रही हूँ वह है मेडिटेशन ! ओशो ध्यान की इस प्रकार व्याख्या करते है ! "Meditation means put the mind aside and watch" यानी की हमारे विचारों को देखना, निरिक्षण करना, साक्षी होना इसका नाम ध्यान है ! जैसे ही हम इन विचारों के साक्षी (witness) होने लगते है तो धीरे-धीरे सारे विचार तिरोहित होने लगते है ! अंत में रह जाती है निर्विचार चेतना ! इस शुद्धतम अवस्था का नाम ही ध्यान है ! ध्यान कोई ज्ञान नहीं है जिसे पुस्तकों में खोजा जा सके, ध्यान कोई कर्म नहीं है जिसे करने से ध्यान प्राप्त किया जा सके लेकिन ध्यान को जो चेतना उपलब्ध हुयी है वह व्यक्ति कोई भी कर्म करे ध्यान बन जाता है ! साधारण भोजन बनाना हो या ऑफिस का काम हो ध्यान बन जाता है !
जिस प्रकार की आज हमारी भाग-दौड़ भरी तनावपूर्ण लाइफ स्टाइल है , जिस प्रकार से हम मशीनों से घिरते जा रहे है, ज़ाहिर सी बात है तनाव तो होगा ही ! इसका स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा ! इन सबके साथ रह कर भी मन को तनाव-मुक्त (relax) ध्यान से किया जा सकता है ! सहज सरल आनंद पूर्ण जीवन जीने की कला का नाम ही ध्यान है ! ध्यान को समझाना जितना कठिन है करना उतना ही सरल है ! व्यस्त जीवन में स्वस्थ रहने का बस यही एक उपाय है !
एक बढ़िया उपयोगी लेख....
जवाब देंहटाएंध्यान शांति देता है , शुभकामनायें आपको !
bahut badhiya.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंउपयोगी विचार
सही कहा आपने सुमनजी!...ध्यान हमारे लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है...जो जीवनोपयोगी है!
जवाब देंहटाएंव्यस्त रहो,मस्त रहो,स्वस्थ रहो,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति,जीवनोपयोगी सुंदर रचना......
welcome to new post--जिन्दगीं--
आपसे सहमत हूँ ....हमें थोडा वक्त तो इसके लिए निकालना ही चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर अभिव्यक्ति,दैनिक जीवन के लिए उपयोगी पोस्ट......
जवाब देंहटाएंWELCOME to--जिन्दगीं--
आज ही ओशोधारा से सुरति समाधि कर लौटा हूं। आप सही कह रही हैं,ध्यान को समझने से बेहतर है उसे करके देख लिया जाए ताकि किसी के कुछ समझाने की आवश्यकता ही न रहे।
जवाब देंहटाएंउत्तम सलाह- सहमत. ध्यान को दिनचर्या का अंग बनाना चाहिये.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की बहुत बहुत मंगलकामनाएं ...
bahut sundar lekh... vakai dhyaan se aaj jiwan ke kai tanavo ko halka kiya jaa skta hai..aur apne ko punah Urjavaan kiya jaa sakta hai.. NavVarsh par shubhkaamnayen
जवाब देंहटाएंbara he nek salah diya hai apane.
जवाब देंहटाएंbehtreen..
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