मंगलवार, 8 नवंबर 2011

भला बूंद की क्या औकात जो सागर के बारे में कुछ कह सके !



हिंदी साहित्य को चार भागों में विभाजित किया गया है - आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, और आधुनिककाल ! हर काल में साहित्य का अपना अलग महत्व रहा है ! आज का युग वैज्ञानिक युग है ! इस आधुनिक युग में अद्वितीय चिन्तक, वैज्ञानिक, अभिनव क्रान्ति के प्रस्तोता "आचार्य रजनीश" जिनको सारा विश्व आज "ओशो" के नाम से जानते है ! उनका साहित्य आज के युग की ख़ास पसंद है ! उनका साहित्य तीस से भी अधिक भाषाओं में अनुवादित होकर विश्व के कोने-कोने में पहुँच रहा है ! पूना स्थित उनका ओशो कम्यून इंटरनॅशनल है ! विश्व के लगभग सौ देशो से साधक उनके आश्रम में हर साल आते है और अपने आप को ध्यान और साधना में डूबाते है ! कठिन से कठिन विषय को भी सरल बना कर सरस शब्दों में समझा कर नीरस विषय को भी मनोरंजक बना कर श्रोताओं को बहला फुसला कर अपने लक्ष्य की ओर प्रोत्साहित करना सचमुच ओशो जैसे शिक्षक को ही साध्य है ! वे अपने विचार किसी पर थोपते नहीं बल्कि उनको अंतर दृष्टी देकर सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करते है ! बुद्ध, महावीर, मोहम्मद, जीसस. अष्टावक्र, कृष्ण और अनेक संत महात्माओं पर उनके अनेक प्रवचन उपलब्ध  है इतना ही नहीं राजनैतिक सामाजिक समस्याओं पर भी प्रकाश डाला है !

मजेदार बात यह है कि उन्होंने अपने हाथ से कुछ भी लिखा नहीं बल्कि अपने शिष्यों, प्रेमियों द्वारा संकलित किया हुआ है ! शिष्य और सद्गुरु के बीच बोला गया संभाषण है जैसे अभी-अभी सुबह खिले हुए ताज़े फूल !

ओशो का मतलब ओशोनिक (oceanic) याने की सागर ! एक ऐसा महासागर जिसके गर्भ में भिन्न-भिन्न प्रकारके अमूल्य रत्न भरे पड़े है ! यह महासागर कभी बुद्ध जैसा शांत गंभीर दीखता है तो कभी कभी रौद्र रूप धारण कर समाज में फैले अंधविश्वासों झूठी  परम्पराओं को, पाखंडों को  तेज रफ़्तार से बहा ले जाता है !
आज से बीस-बाईस साल पहले ओशो की एक पुस्तक मेरे हाथ में पड़ी ! इस पुस्तक को मैंने पढ़ा तो फिर उनको पढ़ती ही गयी जैसे जैसे घर में विरोध बढता गया वैसे वैसे उनसे लगाव भी बढ़ता गया अंततः प्रेम और श्रद्धा की  जीत हुई ! आज मेरे घर में सभी उनसे प्रेम करते हैं उनके साहित्य को बड़े चाव से पढ़ते है ! उस महासागर की मैं एक छोटी सी बूंद हु भला बूंद की क्या औकात जो सागर के बारे में कुछ कह सके ! मैंने उस सागर को चखा है आप सब से उस स्वाद को एक बार चखने के लिए अनुरोध करती हूँ ! फिर आप, आप नहीं रहेंगे बदल जायेंगे ! जीवन को देखने का दकियानूसी अंदाज़ भी बदल जाएगा ! ओशो कहते है"मेरा सन्देश कोई सिद्धांत, कोई चिंतन नहीं है ! मेरा संदेश तो रूपांतरण की एक कीमिया, एक विज्ञानं है" ! बुद्ध पुरुषों की अमृत धारा में ओशो एक नया प्रारंभ है !

संपर्क सूत्र 
ओशो कम्यून  इंटरनॅशनल
१७, कोरेगांव पार्क, पूणे,
महाराष्ट्र 
web site- http://www.osho.com

15 टिप्‍पणियां:

  1. आशो को पढने का भी अपना ही आनंद है..... सुंदर पोस्ट

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  2. अच्छी जानकारी। ओशो अपने आप में एक दर्शन है, जिसे पढने और समझने के लिए बहुत धैर्य और सावधानी जरूरी है। अधकचरी जानकारी रखने वाले लोग कई बार तरह तरह की बातें करते हैं, वो इसलिए कि उनके उनके सोचने का दायरा सीमित है।
    सुंदर जानकारी सार्थक पोस्ट

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  3. अच्छी जानकारी दी ....
    उनके जाने के बाद लोगों ने उनको उचित सम्मान दिया !
    शुभकामनायें !

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  4. ओशो से ऐसे ही जुड़ना होता है अकस्मात्...एक बार ओशो को पढ़ लिया या फिर सुन लिया तो उनसे स्वत: ही प्रीति की डोरी जुड़ जाती है। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  5. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-694:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  6. ओशो को पढ़ना कितना गहरा होगा ... यहाँ वहाँ से कई बार उन्हें पढ़ा और हर बार जिज्ञासा बढती जाती है ...

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  7. मैंने अभी तक उनके बारे में नही पढ़ा है, कल खोजता हूँ कुछ नेट पर भी और बाजार में भी|

    बहुत हि अच्छी जानकारी|

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  8. सुंदर प्रस्तुति । बूंद भी तो सागर का हिस्सा है सुमन जी ।

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  9. अभी थोड़ी देर पहले ही,मुरथल आश्रम से ध्यान समाधि कर हफ्ते बाद लौटा हूं। अद्भुत।

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  10. ओशो की कई पुस्तकें मैंने भी पढ़ी हैं और प्रभावित भी हुआ हूँ उनसे । अच्छी पोस्ट । शुभकामनाएँ ।

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  11. अच्छी जानकारी. ओशो को पढ़ने का मज़ा ही कुछ और है.

    शुभकामनायें.

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  12. ओशो पर सुंदर लेख,जानकारी के लिए आभार ,..
    नए पोस्ट पर स्वागत है ,/////

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  13. बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। धन्यवाद !

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