शनिवार, 15 अक्टूबर 2011

मेरा चाँद ....



कैसे करे कोई 
उसका दीदार 
मेरा चाँद तो,
बादलों के शहर में 
रहता है 
छूना तो 
दूर की बात 
टकटकी 
लगाने से ही 
मैला हो जाता है !


( मन चंद्रमा का प्रतीक है )

13 टिप्‍पणियां:

  1. waqt uskaa ho khushnumaan saaraa /

    man ke aangan ho chandramaan pyaaraa /

    sundar srijan, badhaayee sweekaaren suman ji .

    जवाब देंहटाएं
  2. vaqt unkaa ho khushnumaan saaraa !

    man ke aangan ho chandramaan nyaaraa .

    aadardeeyaa suman ji sundar srijan ke liye subhkaamnaayen sweekaaren ...

    जवाब देंहटाएं
  3. सघन भावों से भरी आपकी अभिव्यक्ति मन को दोलायमान कर गयी । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  4. गहन प्रतीक के द्वारा बहुत कुछ कह दिया..

    जवाब देंहटाएं
  5. सबसे बड़ी बात यही है कि वह मन में है। फिर इस तरह के अनुष्ठान की कोई आवश्यकता ही नहीं हओ।

    जवाब देंहटाएं
  6. भावों की गहराई देखते ही बनती है ... कमाल की कल्पना ...

    जवाब देंहटाएं
  7. जो आप कहना चाह रही हैं,वहां तक पहुंच नहीं पा रहा हूं। क्षमा।

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं