मुहब्बत की चाँदनी खिली है ..........
शरद चाँदनी खिली है
अब छोड़ो भी बहाना
जैसे भी हो
आओं छतपर
रात है नशीली चाँदनी
नशीला आज मन भी
बात है कुछ खास
तनिक बैठो पास
कुछ कह लेने दो
कुछ सुन लेने दो
धडकनों को
आपस की बात
आओं
चाँदनी ओढ़े
बिछाये चाँदनी
हम- तुम
आकंठ पिये
अंजुली भर-भर कर
मुहब्बत की चाँदनी
खिली है !
चांदनी में खेलती हुई रचना बधाई .......
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रेम के गीतों पर तो ब्लॉग जगत में जैसे ग्रहण लग गया है। आपने ध्यान दिलाया कि प्रकृति हम सबको कुछ संदेश दे रही होती है।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सुन्दर अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनायें.
प्रेम बिखेरती चाँदनी ...सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर, कोमल प्यारी रचना ....
जवाब देंहटाएंप्यारा आवाहन .....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
चांदनी में खेलती सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंआओं
जवाब देंहटाएंचाँदनी ओढ़े
बिछाये चाँदनी
हम- तुम
ati sundar.
प्रकृति के बिम्बों के माध्यम से कही गई मन की बातें बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंचाँदनी ओढ़े
जवाब देंहटाएंबिछाये चाँदनी
हम- तुम
sundar chandmayee rachna..
सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंशरद चाँदनी और प्रेम का तो साथ सदियों से है ... इसी प्रेम को अभिव्यक्त करती लाजवाब रचना ...
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