संसार में आज मनुष्य व्यस्तमय प्राणीयोंमेसे एक है! अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए हर एक मनुष्य प्रयत्नशील है समृद्धि चाहे धन की हो, चाहे पद प्रतिष्ठा की, ज़िन्दगी की इस भाग दौड़ में किसी के पास इतना समय नहीं है की दो मीठे बोल, बोल सके मदद की बात तो दूर की है हमारी इच्छाएं उस सागर में उठने वाली लहरों की तरह है जो सागर में उठ रही है और गिर रही है परुन्तु पहुँच कही नहीं पाती, हमारी इच्छाएं भी उसी प्रकार है एक पूरी होते ही दूसरी फिर खड़ी हो जाती है शायद लहर कहीं पहुँच भी जाए पर हमारी इच्छाओं का कभी अंत ही नहीं होता !
हम अधिकाँश कार्य अपने लिए ही करते है पर थोडा सा समय हम किसी ज़रूरत मंद के लिए या परोपकार करने में लगाते तो हमें मन का सच्चा आनंद प्राप्त होता है मदद किसी न किसी रूप में चाहे आर्थिक हो या अन्य तरीकोंसे हम जरुरतमंदकी, सेवा कर सकते है यही मानवता का सही धर्म है जिससे हमें आत्मिक शांति और सुख मिलता है! हमें कुछ बाते प्रकृतिसे भी सीखनी चाहिए जो मनुष्य के कल्याण के लिए हमेशा तत्पर रहते है पेड़ हमें फूल फल और छाया देते है नदियाँ हमें जीवन जल देती है हरी भरी प्रकृति मनुष्य के मन को प्रफुल्लित करती है किन्तु बदले में हमसे कुछ नहीं मांगती है !
भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि मानव की कल्याण भावना पर ही निहित है वास्तव में परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म और पुण्य नहीं है मानवता का उद्देश और हमारे जीवन की सार्थकता इसी में है की हम सदैव दूसरों के काम आये हमारे व्यस्तमय जीवन में से थोडा सा समय निसहाय्य लोगों के लिए खर्च करे उनकी सेवा में बिताए यही जीवन की सार्थकता है सच्चा आनंद तो पाने की बजाय किसी को देने से ही उपलब्ध होता है क्योंकि मानव सेवा की माधव सेवा है! सब सुखी हो सब निरोग हो सबका कल्याण हो किसी को भी जीवन में कोई दुःख न हो यही हमारे मन की भावनाएं होनी चाहिए!
किसी कवी ने सच ही कहा है -
"The Best Way To Pray God
Is To Love His Creation"
Published in(Magazine) -Lions Club Of Hyderabad Central City(Service Through Sacrifice)
बहुत सुंदर सार्थक विचार हैं सुमनजी .... आज के दौर में बहुत प्रासंगिक हैं....ऐसी सोच समाज में समरसता ले आएगी.....
जवाब देंहटाएंसुमन जी , बहुत ही सुन्दर बात कही है आपने । कभी कभी वक़्त निकालकर दूसरों का दुःख दर्द भी बांटना चाहिए। जो ख़ुशी देने में है , वो पाने में नहीं है।
जवाब देंहटाएंआपके विचारों और सोच के लिए शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंapke vichar anukarniya hai subhkamnayen.
जवाब देंहटाएंसुमन जी , बहुत ही सुन्दर बात कही है आपने. वास्तव में परोपकार के समान दूसरा कोई धर्म और पुण्य नहीं है. मानवता का उद्देश और हमारे जीवन की सार्थकता इसी में है की हम सदैव दूसरों के काम आये.
जवाब देंहटाएंऐसे उपयोगी लेख के लिए बहुत सारी शुभ कामनाएं आपको !!
बहुत सुंदर सार्थक विचार हैं सुमनजी
जवाब देंहटाएंबहुत सारी शुभ कामनाएं आपको
ब्लॉग की दुस्निया में आपका हार्दिक स्वागत |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है अपने |
अप्प मेरे ब्लॉग पे भी आना के कष्ट करे
http://vangaydinesh.blogspot.com/
सुमन जी ,
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार
आपने बहुत अच्छी बात कही है. बधाई स्वीकारें.