जिंदगी भी न
मुझे कभी-कभी
जिद्दी अड़ियल
मुझे कभी-कभी
जिद्दी अड़ियल
छोटे बच्चे
जैसी लगती है !
जब तक उसे
दो चार कविता
कहानियाँ सुना
बहला फुसला
पुचकार न लूँ
तब तक
टस से मस्स
नहीं होती ... !
जैसी लगती है !
जब तक उसे
दो चार कविता
कहानियाँ सुना
बहला फुसला
पुचकार न लूँ
तब तक
टस से मस्स
नहीं होती ... !
कविता और जिंदगी में नाता है ... अनकहा ... अनबूझ ...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंखूब उकेरा इस ज़िन्दगी के इस पहलू को
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सच है जिन्दगी वाकई छोटे बच्चे की तरह होती है .बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंजिंदगी सचमुच अडियल बिलकुल छोटे बच्चे की तरह।
जवाब देंहटाएंबहुत दिन हुए नई, पोस्ट आनी चाहिये अब तो।
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