हमें,
मनुष्य को
प्रेम करने से ज्यादा
मनुष्यता (humanity) से
प्रेम करना अधिक
सरल लगता है
क्योंकि,
मनुष्य से प्रेम
करने का मतलब है
अच्छाईयों के
साथ-साथ उसकी
प्रेम करने से ज्यादा
मनुष्यता (humanity) से
प्रेम करना अधिक
सरल लगता है
क्योंकि,
मनुष्य से प्रेम
करने का मतलब है
अच्छाईयों के
साथ-साथ उसकी
बुराईयों से भी
प्रेम करना
प्रेम करना
जो की कठिन
लगता है
स्वीकारना .... !
बढ़िया
जवाब देंहटाएंइतनी सुन्दर रचना अनायास ही नहीं बनती. बेहतरीन ! आभार !!
जवाब देंहटाएंसही कहा , हमें केवल आदर्श सुहाते हैं ।
जवाब देंहटाएंहकीकत की बात बोली है ... आदर्श ही आदर्श अच्छे लगते हैं पर किसी इंसान मे अच्छाइयां हों और बुराइयां तो कई बार उसकी अच्छाइयों को किसी एक बुराई के लिए भी हम नहीं सह पाते ... विशेष कर कई अच्छे इंसानों को बस एक ही बुराई के लिए हम सह नहीं पाते ...
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 26/03/2015 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 44 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
बिल्कुल सही
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : बिन रस सब सून
सिर्फ अच्छाइयायों वाला इंसान कहाँ मिलेगा ?
जवाब देंहटाएंसिर्फ अच्छाईयों वाला इंसान होना भी नहीं चाहिए इंसान थोड़े खट्टे थोड़े मीठे का प्रपोर्शन होना चाहिए :) कहने मतलब यह था की दिखाई देने वाली चीजों से ज्यादा न दिखाई देने
हटाएंवाली चीजों से प्रेम करना मन को ज्यादा अच्छा लगता है !
हाँ लेकिन मनुष्य से प्रेम करके उसके बुरे आदतों को सुधारने की कोशिश तो की जा सकती है :)
जवाब देंहटाएंji, sahi kaha sahmat hun :)
हटाएंमनुष्य को उसकी बुराइयों के साथ स्वीकारना हर मनुष्य को कठिन लगता है, क्योंकि मनुष्य स्वयम को समस्त बुराइयों से मुक्त मानता है और उसे अन्य सभी में बुराइयाँ दिखती हैं! जिस दिन हमने मनुष्य को अच्छाइयों और बुराइयों सहित या उससे अलग कर परमात्मा के अंश के रूप में देखना शुरू कर दिया, उस दिन यह जगत स्वर्ग हो जाएगा!
जवाब देंहटाएंबहुत थोड़े में बहुत अच्छी बात कही है भगिनी सुमन!!
बहुत सुंदर .अच्छी बात
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