गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

रहिमन धागा प्रेम का ....


"रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय , 
टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय " !!
जिस प्रकार धागा टूटने पर जुड़ नहीं सकता यदि जोड़ भी दे तो गांठ पड़ जाती है उसी प्रकार प्यार के रिश्तों में भी  एक बार दरार पड़ जाय तो  जुड़ना मुश्किल हो जाता है, अविश्वास की गांठ पड़ ही जाती है  उस रिश्ते  में  ! सच  कह रहे है महाकवि रहीम प्रेम बड़ा नाजुक धागा है इतना नाजुक कि इन आँखों से दिखायी भी नहीं  देता और मजबूती से बांध देता है रिश्तों को  ! इगो तोड़ देता है  और प्रेम जोड़ देता है एक व्यक्ति को व्यक्ति से, व्यक्ति को प्रकृति से , और ईश्वरीय परम सत्ता से  !  
साधारणता आज के आधुनिक युग में  आधुनिक युवा प्रेम को महंगे महंगे उपहारों के लेन -देन  के रूप में ही जानने लगे है  अन्य रिश्तों के साथ-साथ प्रेम जैसे पवित्र  रिश्ते को भी सस्ता बना दिया है  ! दोनों तरफ से ह्रदय के पात्र   बिलकुल खाली  हो  तो ऐसे में  कौन किसको प्रेम दे  ??  भिखमंगों  जैसी अवस्था हो गयी है  ! इसी वजह से आज  घर-परिवारों में कलह क्लेश ने जीवन को नरक बना दिया है  ! ह्रदय का पात्र प्रेम से लबालब भरा  हो तभी प्रेम देना संभव  है लेकिन इसे भरने  की  संभावना तभी संभव है जब  इधर से कोई मांग अब  मन में नहीं बची है  !
 प्रेम  व्यक्ति  को  एक नया व्यक्तित्व देता है  भले ही बड़ी गाडी , बडा बंगला , भरपूर बैंक बैलेंस उसके पास न हो पर प्रेम  की  आकूत संपदा  जिसके पास है वही धनवान है मेरे हिसाब से  ! लोभ और लालच पर टिके हुए रिश्ते देर सवेर टूट ही जाते है  !

17 टिप्‍पणियां:

  1. सच कहा...उपहारों के बल से ही सच्चा प्रेम कभी मिल पाया है? 'बीटल्स' के एक मशहूर गीत की याद आ गयी...'केंट बाय मी लव'.....

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  2. आपकी लिखी रचना शनिवार 15/02/2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    कृपया पधारें ....धन्यवाद!

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  4. वाह . . . .
    छलके आंसू पोंछ सके जो , जंगल में इंसान वही है !
    प्रेम सम्पदा रहती मन में, बस्ती में धनवान वही है !

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  5. प्रेम रहित जीवन सूखे वृक्ष जैसा होता है । लेकिन इसे कोई एक अकेला हमेशा सहेजकर नही रख सकता । प्रेम की उदारता दोनों तरफ हो तभी जीवन सहज चलता है ।

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  6. आज इस पोस्ट की टिप्पणी में ओशो की ही बात कहूँगा... वे कहते हैं कि रहीम के इस दोहे का पूर्वार्द्ध बिल्कुल सही है.. बड़ी प्यारी बात है कि प्रेम एक कच्ची डोर है, कोई बन्धन नहीं... लेकिन जब रहीम उत्तरार्द्ध में कहते हैं कि इसे मत तोड़ो, तो वो अपनी ही बात का खण्डन करते हैं.. अर्थात जो टूट जाए वो प्रेम कभी रहा ही नहीं होगा.. अब इसे चटकाकर तोड़ दो या गाँठ लगा दो क्या अंतर पड़ता है.. अगर प्रेम सच्चा हुआ तो टूटने या तोड़ने का प्रशन ही कहाँ उत्पन्न होता है..
    इसी कारण जैसा आपने कहा आजकल के प्रेम सम्बन्ध कुछ दिनों में ब्रेक अप में बदल जाते हैं!!

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  7. प्रेम सहज हो. सुंदर आलेख, आज के युवा इससे वंचित है.

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    1. राकेश जी,
      पता नहीं क्या बात है आपके ब्लॉग पर पहुंचने में दिक्कत हो रही है
      टिप्पणी के लिए आभार आपका !

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  8. बहुत बढ़िया प्रेरक सामयिक प्रस्तुति ...

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  9. बहुत ही सार्थक और सम सामयिक आलेख.....सुमन जी आपसे बिलकुल सहमत हूँ ......

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  10. सार्थक लेख है ... सोचने समझने की बात है आज के दिन .. प्रेम को प्रेम से संभालने की जरूरत है आज ...

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  11. प्रेम अदभुत है, सच्चे प्रेम को किसी व्याख्या में बांधना ही मुश्किल है. प्रेम की अनुभुति ही हो सकती है. प्रेम और ईश्वर, ईश्वर और प्रेम एक ही हैं. बहुत सुंदर.

    रामराम.

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