रविवार, 19 जनवरी 2014

अस्तित्व के साथ मिलकर ...

सृजनात्मक जीवन शैली 
जीने का सुन्दर ढंग है 
संपूर्ण सत्य नहीं,
इस सृजन से कितने लोगों ने 
तारीफ़ की कितनी टिप्पणियाँ 
मिली यह महत्वपूर्ण नहीं है 
महत्वपूर्ण है हम कितने 
आनंदित हुए इस सृजन से !
शब्द भी प्रवास करते है 
कंठ से लेकर कान तक 
समझने वाले अपनी-अपनी 
बौद्धिक क्षमता के अनुसार 
सोचते है समझते है !
तो फिर सत्य क्या है ?
प्रश्न एक पर उत्तर अनेक 
मेरा सत्य आपका नहीं 
आपका सत्य मेरा नहीं 
बुद्धि से परे इस सत्य को 
शब्दों में ढालना समझाना 
ऐसे ही है जैसे   … 
किसी अँधे व्यक्ति को 
प्रकाश के बारे में समझाना,
स्वभावता यह प्रश्न ही नहीं है
मेरे लिए 
सत्य न सोच है न समझ है !
अँधा व्यक्ति कैसे सोच समझ 
सकता है प्रकाश के बाबत ?
जीवन को महसूस करने का 
एक सुन्दर ढंग है सत्य 
इस विराट अस्तित्व में 
अस्तित्व के साथ मिलकर 
जीने का एक तरीका … !







14 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद अर्थवान लेख !! आभार आपका,

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  2. सबका अपना अपना सच है,
    मन के बहार, मन के भीतर का अपना सच
    कमरे से बाहर,घर से बाहर अलग सच
    कमरे के भीतर के सच की व्याख्या मन भी नहीं कर पाता

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  3. सत्य महसूस करने की चीज है ... गहरा अर्थ लिए है ये रचना ...

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  4. हमारी अपनी संतुष्टि ही मायने रखती है ...... अर्थपूर्ण विचार

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  5. गहन दर्शन से परिपूर्ण रचना ...सच ही सबके अपने २ सत्य होते हैं....

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  6. इस विराट अस्तित्व में
    अस्तित्व के साथ मिलकर
    जीने का एक तरीका … !
    सत्य की सुंदर परिभाषा।

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  7. गज़ब का विश्लेषण है आपका. कौन जान सका है सत्य का सत्य रूप.

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  8. जीवन को महसूस करने का
    एक सुन्दर ढंग है सत्य

    और इस ढंग को हमें अपने अंदर उतारना चाहिए
    सार्थक सुन्दर रचना
    सादर!

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  9. सत्य
    छिपा है भीतर
    गहराई में.
    असत्य का आवरण हटे तो सत्य प्रकट हो।

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  10. Very thoughtful!

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  11. अंतस उपजी सुंदर और सशक्त रचना.

    रामराम.

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