हृदय के मरू उद्यान में,
काव्यों के वृक्ष घने है !
सतरंगी घटाओं में,
भावना के पुष्प खिले है !
अमर बेलों के झुरमुट में,
कोयल का नित प्रेमगान है !
शीतल झरनों के संगीत में,
अनहद का नाद छिपा है !
पक्षियों की चहचहाहट में,
जीवन का वीतराग है !
भूले-भटके पल में,
चाहे तो विश्राम यहाँ है !
पक्षियों की चहचहाहट में,
जवाब देंहटाएंजीवन का वीतराग है !
भूले-भटके पल में,
चाहे तो विश्राम यहाँ है !
बहुत सुंदर रचना,.....
प्यारी रचना ...
जवाब देंहटाएंयह विसंगतियां ही जीवन हैं !
सुन्दर शब्दों का शृंगार!
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavabhivyakti.badhai.
जवाब देंहटाएंहृदय के मरू उद्यान में,
जवाब देंहटाएंकाव्यों के वृक्ष घने है !
सतरंगी घटाओं में,
भावना के पुष्प खिले है !
..... सुन्दर अभिव्यक्ति !
भावनाओं के पुष्प ही नहीं पूरा गुलदस्ता है....
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना ..
सादर.
पक्षियों की चहचहाहट में,
जवाब देंहटाएंजीवन का वीतराग है !
भूले-भटके पल में,
चाहे तो विश्राम यहाँ है !mast kavita hai.
प्रकृति के अवयवों का सुंदरतम प्रयोग!!
जवाब देंहटाएंनए बिम्ब से सजी सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहृदय के मरू उद्यान में,
जवाब देंहटाएंकाव्यों के वृक्ष घने है !.....
जरुरी है...
बेहतरीन रचना, कला की वीथियों में नैशर्गिक प्रतिमान जीवंत हो उठे हैं .... बधाईयाँ जी /
जवाब देंहटाएंसच कहा, सभी कुछ तो है!
जवाब देंहटाएंभूले-भटके पल में,
जवाब देंहटाएंचाहे तो विश्राम यहाँ है
bahut khoobsurat jagah dhoondhi hai.....
प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंप्रिय मित्रों,
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आप सभी का, प्रवास में हूँ आकर आपके पोस्ट पढूंगी !
खुश रहे सवस्थ रहे :)
उम्दा रचना,बधाई आप को
जवाब देंहटाएंपक्षियों की चहचहाहट में,
जवाब देंहटाएंजीवन का वीतराग है !
गहन अभिव्यक्ति..... सुंदर बिम्ब
जवाब देंहटाएंहृदय के मरू उद्यान में,
जवाब देंहटाएंकाव्यों के वृक्ष घने है !
सतरंगी घटाओं में,
भावना के पुष्प खिले है ! मनमोहक रचना
बहुत सुंदर है यह मरु-उद्यान । चित्र तो बेहद सुंदर ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति से रूबरू खुबसूरत रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर है.
behad sundar
जवाब देंहटाएंविश्राम यहां नहीं,यहीं है। अन्यथा तो दौड़ लग ही रही है बाहर की!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुती आप के ब्लॉग पे आने के बाद असा लग रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर अब मैं नियमित आता रहूँगा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है
दिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद:
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
बहुत सुन्दर रचना!....उत्तान अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंप्रकृति में हर तरफ सौंदर्य ही सौंदर्य है।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी कविता।
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
सौंदर्य ही सौंदर्य
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
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