जिंदादिल, खुशमिजाज व्यक्तित्व का सीधा संबंध हमारे अपने स्वभाव पर ही निर्भर करता है! आपने देखा होगा कुछ लोग बात-बात पर चिढ़ते है! दूसरों की कामयाबी पर कुढ़ते है! हमेशा कटु वचन बोलना, व्यंग्यात्मक लहजा अपनाना, छोटी-छोटी बातोपर लड़ाई-झगडा करना इनके स्वभाव में शामिल होता है! धीरे-धीरे इस प्रकार का स्वभाव इनकी रोजकी आदत बन जाती है! तब उनके अपने लोग ही पराये बन जाते है! नाते रिश्तेदार तक उनसे दूर रहना पसंद करते है! परिवार में अपने ही लोगों का स्नेह, सम्मान घटने लगता है! ऐसे व्यक्ति समाज से कटकर अंत में निपट अकेले रह जाते है! इनसे उलट कुछ व्यक्ति हमेशा हँसते-खेलते प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सदा प्रसन्न दिखाई देते है! उनके इस जिन्दादिली, खुशमिजाजी का राज है जीवन के प्रति सकारात्मक सोच और संवेदनशीलता! इसके अलावा मोर्निंग वाक्, योग, ध्यान, प्राणायाम, पौष्टिक और संतुलित आहार, इन सब का भी जीवन में बड़ा महत्व है ! जो नियमित व्यायाम, मोर्निंग वाक् करते है वे सदा स्वस्थ और दीर्घजीवी रहते है! घर का काम हो चाहे आफिस, काम करना पैसे कमाना हमारी रोजमर्रा की अनिवार्य जरुरत है! दिन के चौबीस घंटों में अगर एक घण्टा हमारे स्वास्थ्य पर, खुश रहने के लिये खर्च करेंगे तो क्या बुराई है ? इसके लिये हमें पैसे तो चुकाने नहीं पड़ते! अगर खुशिया मुफ्त में मिल रही है तो क्यों चूकना?
नैराश्यपूर्ण एवं नकारात्मक सोच के प्रति उपेक्षा का भाव अपनाकर, प्रकृति में व्याप्त उस दिव्य शक्ति में विश्वास कर क्यों न सकारात्मक सोच को आज और अभी से अपनाया जाए!
नैराश्यपूर्ण एवं नकारात्मक सोच के प्रति उपेक्षा का भाव अपनाकर, प्रकृति में व्याप्त उस दिव्य शक्ति में विश्वास कर क्यों न सकारात्मक सोच को आज और अभी से अपनाया जाए!
bahut aachi like hai aap
जवाब देंहटाएंजी आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं,लेकिन हम आदत से मजबूर जो हैं। मुझे लगता है कि अगर आदमी सिर्फ नकारात्मक सोच से ही ऊबर जाए तो खुशियां उससे दूर नहीं जा सकतीं।
जवाब देंहटाएंअच्छा विचार
सही कहा है आपने ....हम सभी को अमल करना चाहिए
जवाब देंहटाएंAnukarniy baaten.... Sunder Post
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच है ....
जवाब देंहटाएंनकारात्मक सोंच लिए अपने आसपास के लोगों को ध्यान से देखिये इनकी हर मुस्कान किसी तात्पर्य को लेकर ही होगी ! माथे पर पड़े बल और चेहरे पर पढ़ी झुर्रियां इनका व्यवहार बताने में समर्थ हैं !
हर इंसान के भीतर एक प्यारा बच्चा छिपा होता है उसे बाहर लायें, फिर बहुत कुछ आसान लगने लगेगा !
शुभकामनायें आपको !!
अच्छी सीख...आभार!!
जवाब देंहटाएंsahi kah rahi hain suman ji aap.
जवाब देंहटाएंजीवन के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने वाली अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
सकारात्मक सोच ही जीवन में सही सोच है,जिसका उदभव सत्संग से होता है.आपकी प्रस्तुति सुन्दर और प्रेरक है.
जवाब देंहटाएंआभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
भक्ति व शिव लिंग पर अपने सुविचार प्रस्तुत कर अनुग्रहित कीजियेगा.
very nice post, aabhaar
जवाब देंहटाएंबेहतरीन आलेख।
जवाब देंहटाएंऐसी अनमोल जानकारी
जवाब देंहटाएंऔर उचित मार्गदर्शन के लिए
हम सब का आभार स्वीकारें .
सच ही तो है चार दिन की ज़िन्दगी
जवाब देंहटाएंहँसकर बिना गिले-शिकवे के गुज़ारो
तभी आनंदमय होगा जीवन।