आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.11.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2529 में दिया जाएगा धन्यवाद
मौन का अंतर्नाद! इतना मुखर कि जबतक न साधो, कुछ नहीं सधता!!
मौन का नाद तो कभी कभी इतना तेज़ होता है की कान फट जाते हैं ... चीख निकल जाती है ... और सन्नाटा भी अक्सर गूंजता है ...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.11.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2529 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
मौन का अंतर्नाद! इतना मुखर कि जबतक न साधो, कुछ नहीं सधता!!
जवाब देंहटाएंमौन का नाद तो कभी कभी इतना तेज़ होता है की कान फट जाते हैं ... चीख निकल जाती है ... और सन्नाटा भी अक्सर गूंजता है ...
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