एक सुहानी शाम
बाहों में बाहें डाल
मेरी प्यारी बिटिया ने कहा,
ममा तुम कितनी अच्छी हो
कितनी प्यारी हो मुझे
तुम पर है गर्व !
जब भी स्कूल से शाम
घर आती हूँ
लगता है घर स्वर्ग !
मै भी बड़ी होकर
तुम्हारी जैसी बनूंगी
कहलाउंगी गुणी !
कुछ उदास सी होकर
मै उसको बोली
बेटा,
छाया का क्या अस्तित्व
कैसा जीवन ??
जब कि आत्मनिर्भरता का
आज है जमाना !
अक्सर तेरे पापा देते है ताना
सुबह अखबार भी छूती हूँ
तो कहते है …
तुझे कौनसे दफ्तर है जाना
दिनभर घर मे रहती हो
आराम से पढ़ लेना !
गृहिणी के काम का न
होता कोई मूल्यांकन
न कोई प्रशंसा !
तभी कहती हूँ बेटा,
खूब पढ़ लिखकर
डॉक्टर बनना इंजीनियर बनना
मेरी जैसी नहीं
तुम अपने जैसी बनना !
तुम मेरा प्रतिबिंब हो भले ही
मेरी परछाई कभी न बनना !
बिटिया उसकी रुचि के अनुसार
आज इंजीनियर बन गयी है !
पिछले तीन-चार महिने से
एक प्रतिष्ठित कंपनी मे
जॉब भी कर रही है !
अच्छे खासे पैसे कमा रही है
एक राज की बात बताऊँ ?
आजकल वही मेरी
ए टी एम भी है … :)
कभी सुना था मैने
बेटा अपने माता-पिता को
स्वर्ग ले जाता है !
लेकिन आज देख रही हूँ
बेटी स्वर्ग को ही
घर पर लाते हुए ...
सुबह दो दो अख़बार
के साथ .... :)