tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post9213388844066016902..comments2023-11-02T00:44:51.318-07:00Comments on "सुरभित सुमन": ११ दिसंबर सद्गुरु ओशो का जन्मदिन है ... !Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-5355984029284294422014-12-21T14:05:00.897-08:002014-12-21T14:05:00.897-08:00बहुत सारी अच्छी बातें कह गए ओशो. हालाँकि एक बहुत ब...बहुत सारी अच्छी बातें कह गए ओशो. हालाँकि एक बहुत बड़ा तबका है जिन्होंने आखों में पट्टी बाँध रखी है. काश ओशो की आवाज़ उन तक भी जाए. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-17111646973114189762014-12-11T05:41:16.263-08:002014-12-11T05:41:16.263-08:00विनम्र नमन....विनम्र नमन.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-61627907740205675862014-12-11T04:55:21.096-08:002014-12-11T04:55:21.096-08:00बीज में वृक्ष छिपा है, लेकिन बीज वृक्ष नहीं है. बी...बीज में वृक्ष छिपा है, लेकिन बीज वृक्ष नहीं है. बीज में सम्भावनाएँ हैं एक वृक्ष होने की.. यदि बीज के आसपास हम सारी सुविधाएँ जल, वायु, धूप, मिट्टी, खाद आदि जुटा भी लें तो इस बात की कोई गारण्टी नहीं कि वह बीज वृक्ष बन ही जाए. लेकिन बीज बिना वृक्ष बने नष्ट भी हो सकता है. <br />और जैसा कि आपने कहा सद्गुरु रूपी मानसून की वृष्टि, सद्गुरु की सुरक्षा, सद्गुरु की शीतल छाया और ज्ञान की धूप मिलकर ही वृक्ष बनने की सम्भावना के प्रकट होने के लिये वातावरण निर्मित करता है... <br />और जैसा कि ओशो कहते हैं कि मुझे किताबें इसलिये पढनी होती हैं ताकि तुमसे तुम्हारे माध्यम से बात कर सकूँ... उसी प्रकार उनका जन्म-महोत्सव भी हम इसी लिये मनाते हैं ताकि हमारे जीवन का दस्तूर निभाया जा सके... अन्यथा तो जो न जन्मा और न जिसकी कभी मृत्यु हुई!! <br />भगिनी सुमन! इस महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-89965147717587701562014-12-10T23:06:32.443-08:002014-12-10T23:06:32.443-08:00ओशो को सुनना प्रकृति के साथ एकाकार जैसा होना होता ...ओशो को सुनना प्रकृति के साथ एकाकार जैसा होना होता है ... <br />अंतिम पैरा पढ़ते पढ़ते ओशो वाणी का जैसे आभास हो रहा हो ... नमन है ओशो और उनके जीवन को ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-88274913655146656362014-12-10T20:27:50.128-08:002014-12-10T20:27:50.128-08:00बहुत सुन्दर. शत-शत नमन !
नई पोस्ट : इच्छा मृत्यु ...बहुत सुन्दर. शत-शत नमन !<br />नई पोस्ट : <a href="http://dehatrkj.blogspot.in/2014/12/blog-post.html" rel="nofollow"> इच्छा मृत्यु बनाम संभावित मृत्यु की जानकारी</a><br /> राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.com