tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post6581053707449549535..comments2023-11-02T00:44:51.318-07:00Comments on "सुरभित सुमन": जीवन को रसमय बना दे कुछ वैसा .... Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-72744362772190299272015-03-26T22:56:16.535-07:002015-03-26T22:56:16.535-07:00हम भी कुछ ऐसे ही हैं..जहाँ मिल जाए...जो मिल जाए :)...हम भी कुछ ऐसे ही हैं..जहाँ मिल जाए...जो मिल जाए :)ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-33655075147767989492015-02-22T19:14:56.135-08:002015-02-22T19:14:56.135-08:00सत्या वचन! फास्ट फूड के जमाने में भी सात्विक और पो...सत्या वचन! फास्ट फूड के जमाने में भी सात्विक और पोषक भोजन की खोज स्वाभाविक है। Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-17435277525575352792015-02-16T21:43:33.165-08:002015-02-16T21:43:33.165-08:00साहि्त्य मन -मस्तिष्क की खुराक है - स्वस्थ मानसिकत...साहि्त्य मन -मस्तिष्क की खुराक है - स्वस्थ मानसिकता के निर्माण और पोषण का कारक है.आज यही तो हो रहा है सुमन जी,सिनेमा ,टीवी आदि साहित्य के दृष्य रूप हैं .इन सब का रूप जैसा विकृत है वैसी ही समाज की मनोवृत्ति है .मुश्किल तो यह है कि अगली पीढ़ी को परिवार से अच्छे संस्कार मिलें इस की भी अधिकांश लोगों चिंंता नहीं .<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-58822215709694008332015-02-13T19:17:47.336-08:002015-02-13T19:17:47.336-08:00
सुपाच्य, स्वास्थ्यवर्धक
जीवन को रसमय बनाने वाला स...<br />सुपाच्य, स्वास्थ्यवर्धक<br />जीवन को रसमय बनाने वाला साहित्य <br />सही कहासुमन जी।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-69393556100154909782015-02-06T01:51:03.775-08:002015-02-06T01:51:03.775-08:00कुछ ऐसा जो
सुपाच्य, स्वास्थ्यवर्धक
जीवन को रसमय
बन...कुछ ऐसा जो<br />सुपाच्य, स्वास्थ्यवर्धक<br />जीवन को रसमय<br />बना दे कुछ वैसा … !!<br /><br />......सार्थक बात कह दी आपने संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-75428745740039790912015-02-03T23:37:15.428-08:002015-02-03T23:37:15.428-08:00अच्छा साहित्य और स्वस्थ साहित्य समाज और इंसान की भ...अच्छा साहित्य और स्वस्थ साहित्य समाज और इंसान की भूख मिटाता है ... पर कई बात कुछ अलग सा लिखा सोचने वाले/कवी की उड़ान को भी दिखाता है ... <br />रचना के माध्यम से सार्थक बात कह दी आपने ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-24100904057455883262015-02-03T22:50:15.571-08:002015-02-03T22:50:15.571-08:00बढ़िया बढ़िया रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-88987347880029290082015-02-03T21:40:24.287-08:002015-02-03T21:40:24.287-08:00इश्क़,बेरुखी,रोने धोने , से भी कुछ आगे आयें
कर न ...इश्क़,बेरुखी,रोने धोने , से भी कुछ आगे आयें <br />कर न पायीं बातें ग़ज़लें , हंसने और हंसाने की !<br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-13896809727780499422015-02-03T18:54:05.492-08:002015-02-03T18:54:05.492-08:00एक समय था जब साहित्य से जीवन की दिशा निर्धारित होत...एक समय था जब साहित्य से जीवन की दिशा निर्धारित होती थी, उसमें समाज परिलक्षित होता था. धीरे-धीरे समाज सड़ने लगा और साहित्य भी स्तरहीन होता चला गया. कुकुर्मुत्ते की तरह उग आये "रचनाकार", थोक के भाव में लिखी जाने लगी कविताएँ. इन रचनाओं में दिखने लगा षड़यंत्र, चाटुकारिता और विष बुझे वाण. <br />मसालेदार रचनाओं को परोसते परोसते यह भूल गये कि ये मसाले सिर्फ हाज़मा ही नहीं बिगाड़ते, बल्कि स्वास्थ्य भी बिगाड़ते हैं. भोजन का रसमय होना उतना आवश्यक नहीं, किंतु साहित्य में जीवन के रस होना अनिवार्य है. <br />एक बार फिर एक सार्थक रचना, भगिनी!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-71798098473819562162015-02-03T09:38:14.954-08:002015-02-03T09:38:14.954-08:00एक बेहतरीन रचना प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन...एक बेहतरीन रचना प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।कहकशां खानhttp://natkhatkahani.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-22968499717859564642015-02-03T05:18:02.631-08:002015-02-03T05:18:02.631-08:00वाकई .... वही सार्थक भी होगा वाकई .... वही सार्थक भी होगा डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-61209020138679763142015-02-03T03:58:05.087-08:002015-02-03T03:58:05.087-08:00बहुत ही बढ़िया रचना है ...
मेरे ब्लॉग पर आप सभी लो...बहुत ही बढ़िया रचना है ... <br /><a href="http://gyantarang.blogspot.com" rel="nofollow">मेरे ब्लॉग पर आप सभी लोगो का स्वागत है .</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-56714576885631816802015-02-03T02:17:56.020-08:002015-02-03T02:17:56.020-08:00बहुत अच्छी प्रस्तुति है .
गोस्वामी तुलसीदासबहुत अच्छी प्रस्तुति है .<br /><a href="http://www.gtvidyapith.com/" rel="nofollow"> गोस्वामी तुलसीदास</a>Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09683340432396904778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-36220846539952006992015-02-02T22:53:27.788-08:002015-02-02T22:53:27.788-08:00सार्थक प्रस्तुति।सार्थक प्रस्तुति।Pratibha Vermahttps://www.blogger.com/profile/09088661008620689973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-22354032838606973912015-02-01T21:09:24.368-08:002015-02-01T21:09:24.368-08:00सच साहित्य सुरुचिपूर्ण और सुपाच्य होना चाहिए l
: ...सच साहित्य सुरुचिपूर्ण और सुपाच्य होना चाहिए l <br /><a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2015/02/blog-post.html#links" rel="nofollow">: रिश्तेदार सारे !</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.com