tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post5256536443560042353..comments2023-11-02T00:44:51.318-07:00Comments on "सुरभित सुमन": मॉर्निंग वॉक ...........Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-72668518815112346862011-11-26T09:40:00.255-08:002011-11-26T09:40:00.255-08:00सुबह की सैर का सजीव चित्रण ..फ़ूल तोड़े न जाते तो ...सुबह की सैर का सजीव चित्रण ..फ़ूल तोड़े न जाते तो बेहतर था ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-76663410166006611422011-11-22T05:54:55.468-08:002011-11-22T05:54:55.468-08:00सुंदर उपयोगी पोस्ट,स्वस्थ रहने के लिए मोर्निग वाक्...सुंदर उपयोगी पोस्ट,स्वस्थ रहने के लिए मोर्निग वाक् जरूरी है,<br />मेरें नए पोस्ट पर स्वागत है,धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-30680581801796693092011-11-21T05:28:53.251-08:002011-11-21T05:28:53.251-08:00और वे इन सुंदर फूलों को तोड़-तोड़ कर थैली में भर र...और वे इन सुंदर फूलों को तोड़-तोड़ कर थैली में भर रहे होते है ! खुद को धार्मिक कहलाने वाले वर्मा जी को देखकर संकोच वश मै तो कुछ कह नहीं पाती ! पर मन में सोचती हूँ की भगवान के चरणों में अगर फ़ूल चढ़ाना इतना ही जरुरी है तो, चढ़ा देते अपने दो रूपये के खरीदकर ! यह कैसा धर्मिक अपराध है ? क्या इससे भगवान खुश होंगे ? <br /><br />मैं आपसे सहमत हूँ...फूल भगवान् द्वारा ही तो बनाये गए हैं...उन्हें उन्हीं की बने रचना भेंट में देने का क्या औचित्य है? फूलों का दुरूपयोग बंद होना चाहिए...भगवान् को अगर खुश करना है तो अपने आचरण को सुधार कर करें...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-60336804054704953562011-11-20T22:49:46.081-08:002011-11-20T22:49:46.081-08:00सही में मोर्निंग वोक को रोजमर्रा के जरूरी कामों मे...सही में मोर्निंग वोक को रोजमर्रा के जरूरी कामों में शामिल करना चाहिए!...यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है!..प्रेरक पोस्ट...धन्यवाद!Aruna Kapoorhttps://www.blogger.com/profile/02372110186827074269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-44892812570442018792011-11-20T09:08:23.231-08:002011-11-20T09:08:23.231-08:00सुबह जैसी आक्सीजन देती पोस्ट ...
बधाई !सुबह जैसी आक्सीजन देती पोस्ट ...<br />बधाई !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-48891233862491606502011-11-20T08:36:28.308-08:002011-11-20T08:36:28.308-08:00जीवंत चित्रण ...... सच में सेहत के लिए दिन ऊर्जापू...जीवंत चित्रण ...... सच में सेहत के लिए दिन ऊर्जापूर्ण शुरुआत तो आवश्यक है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-23556399715550185232011-11-20T08:19:58.548-08:002011-11-20T08:19:58.548-08:00सही कहा आपने हमें प्रकृति की चिता है ही नहीं सार्थ...सही कहा आपने हमें प्रकृति की चिता है ही नहीं सार्थक पोस्टSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-40127781679529523582011-11-20T06:25:05.663-08:002011-11-20T06:25:05.663-08:00प्रकृति के कण-कण में संदेश है। यह संदेश है परिवर्त...प्रकृति के कण-कण में संदेश है। यह संदेश है परिवर्तन का,पुरातन का मोह छोड़ नए के स्वागत का,वर्तमान में रहते हुए प्रसन्नतापूर्वक जीने का,सर्वसमावेश का और अंतिम क्षण तक "देने" का। आदमी का जीवन इसके लगभग उलट है। न सीखना हमारा स्वभाव है और आत्मघात हमारी नियती।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-88700862181475517662011-11-20T06:15:06.249-08:002011-11-20T06:15:06.249-08:00सुबह का, सैर के साथ सजीव चित्रण, साथ ही बेहद आवश्य...सुबह का, सैर के साथ सजीव चित्रण, साथ ही बेहद आवश्यक संदेश।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-58973096147713646522011-11-20T03:01:44.025-08:002011-11-20T03:01:44.025-08:00प्रकृति हमें देकर जितनी खुश होती है उतने हम उससे ल...प्रकृति हमें देकर जितनी खुश होती है उतने हम उससे लेकर भी कभी खुश नहीं होते ! कभी नहीं ...<br /><br />बिलकुल सही लिखा है आपने .हमें जितना मिल रहा है वो भी तो खुश होने के लिए पर्याप्त होता हैरेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.com