tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post4484423861527498939..comments2023-11-02T00:44:51.318-07:00Comments on "सुरभित सुमन": खरपतवारों ने मिलकर .....Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-62348441855831870532014-12-28T11:41:40.544-08:002014-12-28T11:41:40.544-08:00सबै भूमि गोपाल की ... काश सब मिलजुलकर रह सकें सबै भूमि गोपाल की ... काश सब मिलजुलकर रह सकें Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-15068095744664139852014-12-21T14:01:30.168-08:002014-12-21T14:01:30.168-08:00गुलाब की बगिया को खरपतवारों से बचाने का जिम्मा तो ... गुलाब की बगिया को खरपतवारों से बचाने का जिम्मा तो रसायनों ने कब से उठा रखा है :) लेकिन आप जिस 'गुलाब' और जिन 'खरपतवारों' की बात कर रही हैं उसका उत्तर तो हमारे 'imperfection' में है. सभ्यता के विकास विकास से धर्मो के अभ्युदय और तदुपरांत अब के मानव जीवन में कोई ऐसा काल खंड नहीं मिलता जिसमे बस शान्ति का साम्राज्य फैला हुआ हो. तुलनात्मक तौर पर तो यही कहा जा सकता है कि पहले के साम्राज्यवादी अभियानों के तहत जितनी हिंसा होती थी उसके अनुपात में बहुत कम है. लेकिन कोई सदी बिना हिंसा के नहीं गुजरी. अभी कुछ दशक पूर्व ही तो ३-४ दिनों के अंतराल में लाख से ऊपर की संख्या में लोग भाप बन के उड़ गए थे. मनुष्य की इस प्रवृत्ति का अंत हो नहीं सकता . हम आग्रह, मनुहार और प्रार्थनायें करते रहे हैं और करते रहेंगे. ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-81071710185223616842014-12-19T21:22:37.657-08:002014-12-19T21:22:37.657-08:00खरपतवार परजीवी तो नही होती, हाँ मुकाबले में वह ज्य...खरपतवार परजीवी तो नही होती, हाँ मुकाबले में वह ज्यादा तेज निकलती है गुलाब से। अलग सी रचना।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-74446350362086100952014-12-19T06:35:49.924-08:002014-12-19T06:35:49.924-08:00हृदयस्पर्शीहृदयस्पर्शीअभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-45713007296952942272014-12-18T20:49:52.993-08:002014-12-18T20:49:52.993-08:00यह सच है भाई, दोनों एक ही मिट्टी से जन्म लेते है ल...यह सच है भाई, दोनों एक ही मिट्टी से जन्म लेते है लेकिन गैर महत्वपूर्ण जब महत्वपूर्ण के पनपने की सारी संभावनाओ को नष्ट करने लगे तो तब उस गैर महत्वपूर्ण को ख़त्म करना ही सार्थक होता है ! बहुत बहुत आभार इस सुन्दर टिप्पणी के लिए !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-50693841625521868822014-12-18T20:48:17.287-08:002014-12-18T20:48:17.287-08:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-11004883245279045542014-12-18T06:20:43.031-08:002014-12-18T06:20:43.031-08:00यह भी कितना अजीब है कि एक नस्ल होती है "परजीव...यह भी कितना अजीब है कि एक नस्ल होती है "परजीवियों" की... एक प्रजाति जो शायद आदि काल से चली आ रही है... जहाँ जीवन है वहाँ इन परजीवियों का भी अस्तित्व है, भले ही उन जीवन पर आधारित... उनके हिस्से का भोजन हड़प कर या बाँटकर. पता नहीं इसे सहअस्तित्व मानें या न मानें... लेकिन यह तो हमने मान लिया है कि गुलाब को वह खर पतवार नापसन्द होगी.. जबकि मेरी समझ से यह तो हम इंसानों के दिमाग़ की उपज है कि हम अपने स्वार्थ (गुलाब का शोषण) और अहंकार के कारण (प्रकृति प्रदत्त एवम गुलाब पर आश्रित) उन खर पतवारों को शोषक, परजीवि और बुरा मानकर उनके नाश का उपाय खोजते हैं.<br />लेकिन समाज में ऐसी कई खर पतवार उग आती हैं जिनकी सफ़ाई ज़रूरी है, ताकि समाज स्वस्थ बन सके!!<br />एक बार फिर एक सोच को जन्म देती हुई रचना! सरल शब्दों में अपना सन्देश व्यक्त करती हुई! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-14946706014968274102014-12-18T04:21:03.756-08:002014-12-18T04:21:03.756-08:00सार्थक अभिव्यक्ति..सार्थक अभिव्यक्ति.. डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-15403676657493811702014-12-18T02:03:32.803-08:002014-12-18T02:03:32.803-08:00ये सोच रखनी होगी ... मानवता तभी बाख पाएगी ...
अर्थ...ये सोच रखनी होगी ... मानवता तभी बाख पाएगी ...<br />अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-25960184723553019602014-12-17T23:54:35.953-08:002014-12-17T23:54:35.953-08:00बहुत सुन्दर .
नई पोस्ट : आदि ग्रंथों की ओर - दो श...बहुत सुन्दर .<br />नई पोस्ट : <a href="http://dehatrkj.blogspot.in/2014/12/blog-post_36.html" rel="nofollow"> आदि ग्रंथों की ओर - दो शापों की टकराहट </a><br /> राजीव कुमार झा https://www.blogger.com/profile/13424070936743610342noreply@blogger.com