tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post3896049596517929314..comments2023-11-02T00:44:51.318-07:00Comments on "सुरभित सुमन": टिप्पणियों का मनोविज्ञान ...Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-77445164059850756692013-06-11T12:48:20.518-07:002013-06-11T12:48:20.518-07:00बहुत ही सटीक बात कही गयी है। बधाईबहुत ही सटीक बात कही गयी है। बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03051171614183614154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-54464576471403663312013-06-11T03:22:40.693-07:002013-06-11T03:22:40.693-07:00well said. nice idea.well said. nice idea.tbsinghhttps://www.blogger.com/profile/07736038280400862671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-9844377490532636262013-06-11T02:56:12.078-07:002013-06-11T02:56:12.078-07:00ताऊ ने तो पूरा विश्लेषण कर दिया ...
पर जो भी हो लि...ताऊ ने तो पूरा विश्लेषण कर दिया ...<br />पर जो भी हो लिखने को प्रेरित तो करती ही हैं टिप्पणियाँ ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-4009778621001922862013-06-05T10:38:45.646-07:002013-06-05T10:38:45.646-07:00टिप्पणियाँ चाहे जैसी हो लेकिन ब्लोगर का हौसला तो ...<b>टिप्पणियाँ चाहे जैसी हो लेकिन ब्लोगर का हौसला तो बढाती है,,,</b><br /><br /><b>RECENT POST</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/06/150.html#links" rel="nofollow">: हमने गजल पढी, (150 वीं पोस्ट )</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-87876151111891492812013-06-05T06:17:09.749-07:002013-06-05T06:17:09.749-07:00- मेरी वह पोस्ट, रचना नहीं है !
पोस्ट के आखिरी दो...- मेरी वह पोस्ट, रचना नहीं है !<br /><br />पोस्ट के आखिरी दो पैराग्राफ ब्लॉग जगत के लिए नहीं है अपितु पूरे देश की प्रिंट मिडिया एवं आम जन प्रतिक्रियाओं के लिए हैं !!<br /><br />हो सके तो कृपया एक बार और पढ़ें... !<br /><br />Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-84124180991252817472013-06-05T05:07:53.191-07:002013-06-05T05:07:53.191-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-90562392809796026102013-06-05T04:31:04.540-07:002013-06-05T04:31:04.540-07:00इस संसार में भांति भांति के लोग है और सभी अति परम...इस संसार में भांति भांति के लोग है और सभी अति परम ज्ञानी हैं. इसलिये ज्ञान बघारना तो हमने बंद कर रखा है पर एक पोस्ट इस पर लगाने का आईडिया जरूर आ गया है.:)<br /><br />रामराम ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-85449583438795540992013-06-05T04:28:41.443-07:002013-06-05T04:28:41.443-07:00अब अंत में एक मजेदार बात बताऊं जो कि पौराणिक काल क...अब अंत में एक मजेदार बात बताऊं जो कि पौराणिक काल के ब्लागर तो जानते ही होंगे.<br /><br />हुआ यूं कि एक महिला ब्लागर की माताजी का देहावसान हो चुका था, अब मां के जाने का गम कितना सालता है यह समझने वाली बात है. उन्होनें मां को याद करते हुये एक मार्मिक पोस्ट लगाई. अब एक टिप्पणी महारथी आये और कुछ इस तरह कमेंट किया " बहुत ही सुंदर पोस्ट, पढकर मजा आगया मेरे ब्लाग पर भी पधारें"<br /><br />अब बताईये ऐसे टिप्पणी वीरों का क्या करें?<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-10403875901237673732013-06-05T04:24:28.130-07:002013-06-05T04:24:28.130-07:00ज्यादातर टिप्पणियां सिर्फ़ अपनी ब्लाग पोस्ट का लिं...ज्यादातर टिप्पणियां सिर्फ़ अपनी ब्लाग पोस्ट का लिंक छोडने के लिये होती हैं. अब यह सही है या गलत? राम जाने ताऊ तो नही जानता.:)<br /><br />रामराम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-61260621472653236922013-06-05T04:23:07.450-07:002013-06-05T04:23:07.450-07:00पौराणिक काल में यानि हिंदी ब्लागिंग के स्वर्णिम क...पौराणिक काल में यानि हिंदी ब्लागिंग के स्वर्णिम काल में टिप्पणियों को पोस्ट का धन माना जाता था शायद यही वजह है कि लोगों का टिप्पणी मोह छुटता नही है.:)<br /><br />रामराम.<br /><br /> ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-34905562882279671702013-06-05T04:19:48.579-07:002013-06-05T04:19:48.579-07:00टिप्पणियों का मनोविज्ञान :-
1. पोस्ट पर टिप्पणियो...टिप्पणियों का मनोविज्ञान :-<br /><br />1. पोस्ट पर टिप्पणियों से आप पोस्ट तथ्य का पता नही लगा सकते, आप किसी भी पोस्ट को ले लिजिये, लेखक का सारा किया धरा किसी और ही दिशा में चला जाता है. <br /><br />2. ज्यादातर टिपणियां nice टाईप की होती हैं जो सिर्फ़ हाजिरी लगाने के लिये होती हैं यानि "टिप्पणी ठोक, रचना मत बांच, अगला ब्लाग"<br /><br />लेकिन शायद यह भी जरूरी हैं, इससे थोडा मनोबल तो बढता ही है. जैसा की हमारी किसी एक पोस्ट पर सुश्री संगीता स्वरूप जी ने लिखा है कि टिप्पणी तो टिप्पणी होती है.<br /><br />रामराम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-47163815924221958652013-06-05T04:18:17.925-07:002013-06-05T04:18:17.925-07:00बढिया मंथन किया है आपने,
लेकिन यहां ये मनोविज्ञान...बढिया मंथन किया है आपने,<br />लेकिन यहां ये मनोविज्ञान समझने की फुर्सत किसे हैं।<br />सब ज्ञानी हैं इसलिए दिक्कत ज्यादा है।<br />बढिया सार्थक विचारमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-90648061742612060132013-06-05T04:13:18.414-07:002013-06-05T04:13:18.414-07:00टिप्पणिंयों के मनोविज्ञान की बात भी आपने अच्छी की ...टिप्पणिंयों के मनोविज्ञान की बात भी आपने अच्छी की है. आज आपकी इस पोस्ट के द्वारा अपने मन की बात कहने का मौका मिला है. नीचे लिखे बिंदु ध्यान देने लायक हैं.<br /><br />रामराम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-49132021650130353812013-06-05T04:11:23.241-07:002013-06-05T04:11:23.241-07:00बात तो आपकी सही है. लेकिन यहां समस्या एक ही है कि ...बात तो आपकी सही है. लेकिन यहां समस्या एक ही है कि कितने लेखक यहां पाब्लो पिकासो हैं? जो यह कहकर टिप्पणी (डिलीट) लौटा दें, पब्लिश ना करें, कि तुमने पोस्ट की सही आत्मा के अनुरूप टिप्पणी नही की?:)<br /><br />रामराम.<br />ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-59043959738359834602013-06-05T02:38:35.523-07:002013-06-05T02:38:35.523-07:00well said sumanji. simply superb. Nice one
regards...well said sumanji. simply superb. Nice one<br />regards MadanMadan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-29575412443853041902013-06-05T02:14:34.501-07:002013-06-05T02:14:34.501-07:00सुमन जी आपने संक्षेप में सटिक और उचित कहा है। टिप्...सुमन जी आपने संक्षेप में सटिक और उचित कहा है। टिप्पणियां मूल्यांकन का जरिया नहीं। मूल्यांकन होता है आपका लेखन पाठक के दिल-दिमाग को किताना संतोष देता है। टिप्पणी आए नहीं आए लेखन पर उसका परिणाम नहीं हो और केवल टिप्पणियां पाने के लिए लेखन भी ना हो। हां टिप्पणियां हौसला जरूर बढाती है।साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदेhttps://www.blogger.com/profile/18249451298672443313noreply@blogger.com