tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post3260243914082121232..comments2023-11-02T00:44:51.318-07:00Comments on "सुरभित सुमन": मन की शांति … Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-72635818988243434812014-02-21T04:52:10.824-08:002014-02-21T04:52:10.824-08:00सहमत हूँ आपकी बात से ..सहमत हूँ आपकी बात से ..संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-53390554420684246592014-02-07T20:17:42.062-08:002014-02-07T20:17:42.062-08:00कंपनियां सच में अपना मुनाफा कमाने के चक्कर में कि...कंपनियां सच में अपना मुनाफा कमाने के चक्कर में कितना अनावश्यक दवाब ला देती हैं जीवन में. कहीं ना कहीं यह गलत धारणा बैठ गयी है हमारे मन में कि पैसे से ही शान्ति मिल जाती है जीवन में. अगर ऐसा होता तो पश्चिमी जीवन और उसकी पारिवारिक संरचना कितनी अच्छी होती. कल एक मित्र से बात हो रही कि गाँव के जीवन में आर्थिक और अन्य दिक्कतें जो भी हों, जीवन के कई पहलू ऐसे हैं जिसमे कितना आनंद है. चकाचौंध की ज़िन्दगी में वह सुकून ख़त्म हो गया है जिसके लिए हम इतनी मेहनत करते हैं.ओंकारनाथ मिश्र https://www.blogger.com/profile/11671991647226475135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-1377423746524615332014-02-06T06:53:06.428-08:002014-02-06T06:53:06.428-08:00सुमन जी! मैं तो सरकारी नौकरी में हूँ... मगर हालात ...सुमन जी! मैं तो सरकारी नौकरी में हूँ... मगर हालात मेरे भी आपके बेटे से कम बुरे नहीं हैं. कोशिश अपनी भी सिर्फ इतनी रही कि 'मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर' रहे... आज तीस साल से अधिक की नौकरी कर लेने के बाद देखता हूँ कि नौकरी करने के तौर तरीके और माहौल बहुत बिगड़ गए हैं. यही माहौल इस तरह की अवस्था को जन्म दे रहे हैं. <br />युवा पीढ़ी को तो इस अर्थव्यवस्था ने ऐसा बना दिया है. क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन, कार लोन आदि देकर उन्हें बन्धुआ मज़दूर बना लिया है. आपको 25 साल लगे स्थिरता पाने में, लेकिन ये युवा कामगार... सिर्फ पाँच साल में गाड़ी, घर, और आरम की ज़िन्दगी पा लेते हैं. फिर शुरू होता है इस ज़िन्दगी को सम्भालने का सिलसिला. जब गाड़ी से पेट्रोल महँगा दिखने लगता है और फिर ज़्यादा से ज़्यादा कमाई, शांति छीन लेती है! <br />ये दो परिस्थितियाँ ज़िम्मेवार हैं इन सब के लिए. बेटे को मेरा आशीष कहिएगा! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-79119007409934111082014-02-06T00:06:28.923-08:002014-02-06T00:06:28.923-08:00वर्त्तमान दशा ही कुछ ऐसी हो चली है
पैसा तो है पर ...वर्त्तमान दशा ही कुछ ऐसी हो चली है <br />पैसा तो है पर मन की शान्ति नहीं <br />सादर !शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-72345336397853463412014-02-05T11:13:18.310-08:002014-02-05T11:13:18.310-08:00समृद्धि और सफलता जीवन के लिए जरूरी है लेकिन सबसे ...समृद्धि और सफलता जीवन के लिए जरूरी है लेकिन सबसे बड़ी तो सार्थकता है. हमारे चारो तरफ परमात्मा का सौंदर्य बिखरा पड़ा है लेकिन प्रतिस्पर्धा और महत्वाकांक्षा के मकड़जाल में हम ऐसे उलझे हैं कि इसे देख ही नहीं पाते। हमारे भीतर आनंद का झरना है लेकिन हम जीवन को मरुस्थल बना लेते हैं. मेरी दृष्टि में ध्यान इसका समाधान है जो अंतर्जगत फिर से जोड़ देता है. संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-40367294813544248692014-02-04T22:11:55.063-08:002014-02-04T22:11:55.063-08:00सहमत हूँ आपकी बात से ... आज अधिकाँश युवा(सभी की बा...सहमत हूँ आपकी बात से ... आज अधिकाँश युवा(सभी की बात नहीं कर रहा) परिश्रम से भागते हैं .. छोटी छोटी बातों से परेशान हो जाते हैं ... ओर तो ओर जल्दी ही दूसरों के सिर पर भी डाल देते हैं ... सहना नहीं चाहते ... समाधान खोजना नहीं चाहते ... तेज़ी से भागती दुनिया ओर अर्थ की साधना शायद इसकी सबसे बड़ी वजह है ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-86193710497746938072014-02-03T08:05:31.913-08:002014-02-03T08:05:31.913-08:00हमारे समय में जीवन में इतनी आपाधापी और प्रेशर नही ...हमारे समय में जीवन में इतनी आपाधापी और प्रेशर नही था, आज के बच्चे हम लोग से ज्यादा और अच्छे पढे लिखे होने के बावजूद एक अंधी दौड में शामिल हैं जिससे बाहर निकलना उनके लिये भी मुमकिन नही लगता.<br /><br />शायद ये समय की ही बलिहारी है, सुंदर मोड पर समाप्त किया इस वार्ता को, आभार और शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम. ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-86021337954022698052014-02-01T04:00:24.857-08:002014-02-01T04:00:24.857-08:00काफी देर तक सोंचता रहा पढ़ कर ,
बहुत अच्छा लिखा है...काफी देर तक सोंचता रहा पढ़ कर , <br />बहुत अच्छा लिखा है आपने, कहीं न कहीं यह लेख, मां की व्यथा अभिव्यक्ति करने में सफल रहा है ! यह सच है कि आजकल की यह प्राइवेट कम्पनियाँ पैसों से कहीं अधिक कार्य लेती हैं ! हमारे बच्चों को अपने लिए बीच का रास्ता निकालना होगा ! हिम्मत बंधाइये उसे . . . <br />मंगलकामनाएं बेटे के लिए !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-20832108820461029582014-02-01T03:59:06.867-08:002014-02-01T03:59:06.867-08:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-20983358821494524882014-02-01T03:07:52.098-08:002014-02-01T03:07:52.098-08:00सही कहा सही कहा Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-8715801656121682032014-02-01T01:58:22.085-08:002014-02-01T01:58:22.085-08:00aapke list men mai jodunga 'SANTOSH " san...aapke list men mai jodunga 'SANTOSH " santsh aayega to peace of mind aa jayegaa !<br />santosham param sukham !<br /><a href="http://kpk-vichar.blogspot.in/2014/01/blog-post_30.html#links" rel="nofollow"> सियासत “आप” की !</a><br /><a href="http://www.kpk-vichar.blogspot.in/2014/01/blog-post_27.html#links" rel="nofollow"> वसन्त का आगमन !</a><br />Kalipad Prasadhttps://www.blogger.com/profile/07595947461741532625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-17416174800647678572014-02-01T01:51:57.676-08:002014-02-01T01:51:57.676-08:00हूँ.... एक अजीब सी उलझन और अकेलपन घेरे रहता आजकल स...हूँ.... एक अजीब सी उलझन और अकेलपन घेरे रहता आजकल सभी को .... युवा भी इसी से जूझ रहे हैं डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-89416835611296112042014-01-31T06:03:52.724-08:002014-01-31T06:03:52.724-08:00सच में बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है आपने दी....
म...सच में बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है आपने दी....<br />मन बहुत अशांत रहता है...एक ठहराव का एहसास जाने कहाँ चला गया...<br />आने वाली पीढ़ी को ठोस कदम उठाने होंगे एक सुकून को पाने के लिए...हम माँ बाप भी ज्यादा महत्त्वाकांक्षाएं न लादें बच्चों पर !!<br /><br />सादर<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-52937725810161318712014-01-31T02:11:32.153-08:002014-01-31T02:11:32.153-08:00आज के युवा वर्ग की तनाव भरी जिंदगी का बखूबी चित्रण...आज के युवा वर्ग की तनाव भरी जिंदगी का बखूबी चित्रण .<br />नई पोस्ट : <a href="http://dehatrkj.blogspot.in/2014/01/blog-post_30.html" rel="nofollow"> दिशाशूल : अंधविश्वास बनाम तार्किकता </a><br />राजीव कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/01325529492703038666noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2101352383183555.post-89623300717158603372014-01-31T01:37:45.163-08:002014-01-31T01:37:45.163-08:00पर सभी भाग रहें हैं
देखा देखी में
किसे फुर्सत है...पर सभी भाग रहें हैं <br />देखा देखी में <br />किसे फुर्सत है <br />शाँति की सोचने की <br />जो होता है पास में <br />उसे अनदेखा करते हैं<br />जो कहीं नहीं है <br />उसकी सोच में मरते हैं <br />जा कहीं नहीं रहे हैं <br />हर कोई जानता है <br />फिर भी हम उसी <br />अंधेरे रास्ते में <br />दौड़ पड़ते हैं !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com