शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

प्रेम ..

लोक व्यवहारके चलते
अनेक शब्द
भले ही
इन दिनों
अपने अर्थ उसकी
उपयोगिता
खो रहे हो
लेकिन,
प्रेम अब भी
एक ऐसा शब्द है
जिसमे जादू है …
हम जिससे भी
प्रेम करते है
उसीके अनुरूप
हमें बना देता है
प्रेम रसायन है … !

रविवार, 1 फ़रवरी 2015

जीवन को रसमय बना दे कुछ वैसा ....


नमक,मिर्च,मसालों की
नपी तुली मात्रा
जहाँ भोजन को
स्वादिष्ट बनाती है
वहीँ अधिक मात्रा
भोजन के पोषक
तत्वों को नष्ट
कर देती है !
साहित्य में भी
यही सच है !
सुगम साहित्य
आत्मा की भूख है
भूख प्राकृतिक है
मुझे भी लगती है
आप ही की तरह
पढ़ना मै भी चाहती हूँ
लेकिन क्या ?
कुछ ऐसा जो
सुपाच्य, स्वास्थ्यवर्धक
जीवन को रसमय
बना दे कुछ वैसा … !!