बुधवार, 17 दिसंबर 2014

खरपतवारों ने मिलकर .....

गुलाब के
पौधों का
पोषक तत्व
ग्रहण कर
खुद ब खुद
उग आये
खरपतवारों ने
मिलकर,
फल-फूल खिलने
से पहले ही
नष्ट करना
शुरू कर दिया है
उन नाजुक
पौधों को !

सोच रही हूँ   …
अब तो तू भी
चिंतित हो रहा
होगा
अपनी इस
बगिया की
दिन ब दिन
उजड़ती हालात
पर,
आंसू बहा रहा
होगा मेरी तरह
या फिर
सोच रहा है
खरपतवार नाशक
कोई  दवा के
 बारे में … ??

बुधवार, 10 दिसंबर 2014

११ दिसंबर सद्गुरु ओशो का जन्मदिन है ... !

११ दिसंबर को सद्गुरु ओशो का जन्मदिन होता है ! हम सब ओशो प्रेमी, साधक अपनी अपनी ख़ुशी के अनुसार इस महोत्सव दिन को मनाते है और ख़ुशी के इस उत्सव में आप सब आमंत्रित है !

ओशो "जिनका न कभी जन्म हुआ न मृत्यु" उनके द्वारा कहे गए ये शब्द न केवल उनके अपने संबंध में है, बल्कि सभी बुद्ध पुरुषों के संबंध में कहे गए है क्योंकि बुद्ध पुरुष समय के भीतर अवतरित होते हुए भी समय के पार होते है !
यह तो हमारी अपनी ख़ुशी होती है आदर व्यक्त करने की, उनके जन्मदिवस के उपलक्ष में एक छोटी सी आदरांजलि है यह  … 

"मानसून आते ही ठंडी-ठंडी हवायें सरसराने लगती है हृदयाकाश में छाये भावों के मेघ मन की धरती पर बरसने को उतावले हो जाते है बारिश की इन भाव भरी रिमझिम फुहारों से जब मन की मिट्टी गीली होने लगती है तब बो देती हूँ इस गीली मिट्टी में फूलों के मन पसंद बीज और जब यह बीज टूटकर,गलकर अंकुरित हो पौधे हवावों की सरसराती ताल पर फूलों सहित झूम झूम कर नाचने, गीत गाने लगते है तब फूलों की इस सुगंध से सारा जीवन महकने लगता है  जैसे ".....!

कभी ऊपरी यह पंक्तियाँ कविता रूप में लिखी थी क्योंकि सद्गुरु वो मानसून होता है जिस साधक के भी जीवन में प्रवेश करता है सब कुछ बदलने लगता है ! मन की मिट्टी का जरखेज होकर उस मिट्टी में पड़े हुए बीज का फूल बनकर खिलना ही उस बीज की सार्थकता होती है ! हर बीज के प्राणों में जाने अनजाने यही प्यास होती है शायद ! बीज से फूल बन खिलने की प्रक्रिया से गुजरने की कला एक अद्भुत कीमिया है, विज्ञानं है जो एक कुशल बागबान कहे या सद्गुरु यही हमें सीखा सकते है हर बीज के प्राणों में यह प्यास तीव्र से तीव्रतर होती जाये यही कामना करते हुए    … 
 सद्गुरु ओशो के चरणों में शत-शत नमन !

मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

अपनी आत्मरक्षा हेतु ...

अपनी आत्मरक्षा हेतु
उसने भी अब
हथियार उठाना सिख
लिया है
प्रतिक्रिया स्वरूप
परिणाम जानते हो
इसका  ??
बड़ी तेजी से स्त्रैण
गुणों का नष्ट होना
आज दो
कल दो सौ
परसो दो हजार
असंख्य
गुलाब गैंगों का
अस्तित्व में आना    … !