मंगलवार, 8 मई 2012

एस धम्मो सनंतनो.......


6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति .... सब फसाद की जड़ ही तो " मैं " है ॥

    जवाब देंहटाएं
  2. खुशी यहीं कहीं,भीतर ही थी हमारे,पर अपने होने और चाहने के दंभ में खो सी गई। हमारा सारा दुख अर्जित है। जतन किया तो था खुशी पाने को,पर मिला कुछ और। अब यह दुख हमारे जीवन का इस क़दर हिस्सा बन गया है कि लोग उल्टा सवाल पूछने लगे हैं:"क्या बात है,बड़े खुश लग रहे हो?"

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी टिप्पणी नहीं दिख रही .... स्पैम में देखिएगा

    जवाब देंहटाएं