गुरुवार, 26 अगस्त 2010

बढती पॉकेट मनी मम्मी पापा का बिगड़ता बजट !!

इन दिनों मम्मी पापा की परेशानी बढ़ने लगी है कारण है बच्चों की दिन प्रति दिन बढती पॉकेट मनी !
मल्टी-नैशनल कंपनियों के चलते देश की आर्थिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है लोगों के वेतन कई गुना बढ़ गए है ! जैसे ही मम्मी पापा का वेतन बढ़ा मध्य वर्गीय परिवारों की आय में, जीवन शैली में बदलाव आ गया! घर में हर सुख सुविधा के साधन आने लगे! टीवी, कंप्यूटर, इंटरनेट, अब स्टेटस सिम्बल ही नहीं बल्कि ज़रूरत के साधन बन गए है जब मम्मी पापा का वेतन बढ़ा तो ज़ाहिर है बच्चों की पॉकेट मनी पर भी इसका असर पड़ने लगा! अब ५००-१००० से बच्चों का काम नहीं चल सकता! उनकी पॉकेट मनी में इन दिनों ३००० से लेकर ५००० तक का इजाफा हुआ है! इस बढ़ते पॉकेट मनी को लेकर कॉलेज गोइंग छात्र अमित और तन्नु का कहना है कि इन दिनों महेंगायी बढ़ गयी है पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ गए है, खाने पीने कि वस्तुए महेंगी हो गयी है हमें अपने पॉकेट मनी में से सेल-फोन रीचार्गे कराना, कैंटीन जाना अपने दोस्तों में अपना स्टेटस मेंटेन करना पड़ता है ! ये दोनों सही कहते है ! चारों तरफ से लाइफस्टाइल का प्रेशर बच्चों के दिमाग पर पड़ने लगा है ! आज हर मध्य वर्गीय परिवार के बच्चे साईकिल कि जगह महेंगे बाईक्स या फिर लेटेस्ट मॉडेल की कार से जाना पसंद करते है! उनको ब्रेसलेट, बेल्ट, बैग, से लेकर लेटेस्ट मॉडेल के कपडे ब्रांडेड होना ज़रूरी समझते है उनको किताबों से ज्यादा ज़रूरी महेंगे मोबाईल फोन होना ज़रूरी समझते है! कॉफ़ी डे में बैठना, के.ऍफ़.सी , मेक डोनाल्ड में खाना पसंद करते है ! बड़े बड़े मॉल्स, शौप्पर्स स्टॉप की चमक धमक उनको अपनी ओर आकर्षित करने लगे है ! इन मॉल्स में बड़ी संख्या में कॉलेज छात्र इन दिनों खरीददारी करते हुए पाए जा सकते है! इस प्रकार से चारो ओर से लाइफस्टाइल का प्रेशर बच्चों के दिमाग पर पड़ने लगा है तो ५००-१००० रु की पोच्केट मनी कैसे बस होगी भला?
जो भी हो बढती महंगाई हो या फिर बच्चों की लापरवाह मानसिकता हो अच्छी खासी तगड़ी पॉकेट मनी का बोझ मम्मी पापा के वेतन पर भी पड़ने लगा है ! घर का बजट बिगड़ गया है!

रविवार, 22 अगस्त 2010

बहनों ने रक्षा का जिम्मा अब अपने ऊपर लिया है

कल राखी का त्यौहार है, रेडियो पर गीत बज रहा है राखी कहती है तुमसे भैय्या मेरे भैय्या रखना लाज बहन की ! दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी है इस तरह के पुराने गीत भी अब विदा होने चाहिए ! बहनों ने अपनी रक्षा का जिम्मा अपने ऊपर लिया है वह अपने भाइयों के मुकाबले किसी भी बात में कम तर नहीं है! पढ़ लिख कर वह काबिल और स्वावलंबी बन कर अपनी ही नहीं अपने माँ बाप का सहारा बन रही है सुबह से श्याम देर रात तक हर क्षेत्र में काम करने की हिम्मत जताने लगी है! वह अपने भाइयों की दया पर जीना उनसे रक्षा की भीख माँगना अपना अपमान समजने लगी है ! सदियों पहले वह बेटी बन कर पिता के आश्रय में जवानी में पति के सरक्षण में बुढ़ापे में बेटों की रहमो करम पर जीती आई है! पर अब वह पढ़ लिख कर आर्थिक सम्पन्नता हासिल कर किसी की दया की पात्र नहीं बल्कि अपने हक के लिए लड़ना चाहती है! इन दिनों बहुत कुछ तेजी से बदल गया है! उसी अनुपात में रिश्तों में दरारे बढ़ गयी है! इसी बदलाहट के चलते बहन भाई के रिश्ते में वह बचपन वाली मिठास और स्नेह नहीं रहा है ! भले ही आज के माता पिताओं ने अपने बेटे और बेटियों ने कोई फरक नहीं समझते फिर भी भाई अपने बहन को हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धक समझता है! पढाई में अगर बहन उससे अव्वल है तोह उसे बहुत बुरा लगता है घर की हर वस्तुओं पर वह अपना एकाधिकार समझता है! अपनी बहन से कोई भी वस्तु अधिकार पूर्वक बल पूर्वक हासिल करना अपना हक समझता है! बेचारी बहन हमेशा अपनी तमाम इच्छाओं को दबाकर हालात से समझोता करना समझदारी समझती है भाई बहन के हर फैसले में अपने टांग लड़ाना ज़रूरी समझता है! बहन को किस कॉलेज में एडमिशन लेना है कोनसा विषय चुनना कोनसे कपडे पहनना सब कुछ वही तय करता है उसके कही आने जाने पर रोक टोक लगाना डरा धमका कर अपनी बात मनवाना जन्म सिद्ध अधिकार समझता है!
सदियों से भाई पैतृक संपत्ति पर अपना एकाधिकार समझता आया है अगर गलती से कोई बहन संपत्ति पर अपना हक जताती है तोह वह बहन से सारे रिश्ते नाते तक तोड्लेता है! कानून ने भले ही पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार भले ही दिए हो किन्तु बहन अपना हक मांगे यह भाइयों को बिलकुल बर्दाश नहीं होता! एक दुसरे पर जान निछावर करने वाले भाई बहन पल भर में जान के दुश्मन तक बन जाते है आज ऑनर किल्लिंग के ज्यादा तर मामले हम सब के सामने है इस ऑनर किल्लिंग के जितने भी मामले है उनमे ज़्यादातर लड़कियों के हत्याए उनके भाइयों ने की हुई है! जिन बहनों ने रक्षा हेतु अपने प्यारे भाइयों के हातों पर राखी बाँधी होगी वाही हाथ अपने बहनों को जान से मारने में क्षण भर भी नहीं कामपे होंगे परिवार की इज्जत के नाम पर बहनों की निर्मम हत्याए करना उसको ऑनर किल्लिंग का नाम देना दरिंदगी, वहिशी पन नहीं तो और क्या है?
रक्षा बंधन सिर्फ एक दिन भाई की कलाई पर राखी बांधकर प्रेम जताने का त्यौहार नहीं बल्कि इस एक दिन के जरिये भाई बहन हमेशा एक दुसरे को यह एहसास दिलाते रहे की वे एक दुसरे की लिए कितने महत्त्वपूर्ण है! जिस प्रकार बहन अपने भाई की लम्बी आयु की उसके समृध्ही की भगवान् से प्रार्थना करती है भाई भी यह प्रण करे की अपने बहन को हर तरह से आज़ादी दूंगा! उसके सुख दुःख में सदैव सहयोग करूँगा उन तमाम सारी खुशिया उस पर लुटाऊंगा जिसकी वह हक़दार है तभी रक्षा बंधन का यह त्यौहार सार्थक बन सकता है!

रविवार, 15 अगस्त 2010

टीनेजर की नजरों में आजादी के मायने !

जिस तेज़ गति से दुनिया बदलती जा रही है उसी प्रकार हमारी जीवन शैली हमारा खान पान, रहन सहन जीने का अंदाज़ सब कुछ बदल गया है, उसी प्रकार आज़ादी के मायने भी बदल गए है! आज बच्चों को अगर हम आज़ादी के बारे में पूछेंगे तो उनका जवाब होगा- इधर उधर घूमना, देर रात तक टीवी देखना, फेसबुक पर घंटो लगे रहना, चाटिंग करते वक़्त पिज्जा, बर्गेर, चिप्स खाना कूल ड्रिंक्स पीना! जंक फ़ूड बच्चों का आज आम भोजन बन गया है! किसी भी बात में बड़ों की रोक टोक उन्हें पसंद नहीं! स्वछन्द जीवन जीने को वे अपनी आज़ादी समझने लगे है! टीनेज बच्चे शारीरिक मेहनत खेल कसरत से दूर होते जा रहे है! महा नगरों में बच्चों पर किये गए सर्वे बताते है कि अनेक बच्चे मोटापे का शिकार, ब्लड प्रेशर, दातों के रोगों से पीड़ित पाए गए है! बच्चों पर किया गए यहाँ सर्वे बताते है कि बच्चे चिड चिड़े, जिद्दी, आक्रामक होते जा रहे है! उनमे आत्मा विश्वास कि कमी पायी गयी है टीनेजर बच्चों में एक दुसरे का अनुकरण करने की होड़ सी लगी हुई है पब पार्टियों में जाना शराब पीना नशा करना इसी को वे आधुनिक ज़माने के मॉडर्न बच्चे समझने लगे है जीवन के प्रति उनका नजरिया एक दम बदल सा गया है अपनी इन महंगी आदतों को पूरा करने के लिए वे छोटे मोटे अपराध तक करने लगे है उनकी नज़र में मॉरल व्यालूस कोई मायने नहीं रखते माता पिता को यह समझ में नहीं आ रहा है की उनके बच्चे बड़े बड़े स्कूल कॉलेजों में महंगी फीज़ पर पढ़ कर भी बिगड़ क्यूँ रहे है ? आज बच्चे माँ बाप के बुढ़ापे का सहारा नहीं बल्कि सर दर्द बनते जा रहे है काम की व्यस्तता भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी घर की अनेक समस्याएं माता पिता को चाह कर भी अपने बच्चों को घर में स्नेह पूर्ण वातावरण साफ़ सूत्री ज़िन्दगी नहीं दे पा रहे है !
मेरा अपना मानना है कि आज़ादी का मतलब स्वछन्द जीवन नहीं बल्कि मर्यादित जीवन हो तभी हम दुनिया में कुछ हासिल कर पायेंगे वर्ना जिस प्रकार एक कटी पतंग डोर से कट कर निरूद्देश भटक जाती है उसी प्रकार हम भटक सकते है इसलिए एक कुशल पतंग बाज़ अपने पतंग को ज्यादा ढील नहीं देता और ज्यादा खींच कर नहीं रखता उसी प्रकार हम मर्यादा कि डोर से बंध कर ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है !
६४ वे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सबको बधाई देते हुए यही कहना चाहती हूँ की आज़ादी हमारे लिए बेश कीमती है उसे विद्वंस करने में नहीं सृजन करने में लगानी चाहिए !
प्रत्येक माता पिता से विनती करती हु की बच्चे परिवार का अभिन्न अंग है उनसे बढ़कर दुनिया में कोई सम्पदा नहीं अपने बच्चों को प्यार से अपने पन से समझने और समझाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ आपकी है वर्ना हमारे बच्चे आज़ादी की नाम पर स्वछंदता के नाम पर जीवन की इन भूल भुलय्या गलियों में भटक सकते है !